Rules to do Narmada Parikrama (Circumambulation) by walk- नर्मदा परिक्रमा (पैदल परिक्रमा) करने का नियम - (Hindi & English)

 नर्मदा परिक्रमा (पैदल परिक्रमा) करने का नियम

Rules to do Narmada Parikrama (Circumambulation) by walk-





Narmada River & its tributaries
नर्मदा नदी और उसकी सहायक नदियाँ








       सभी नर्मदा भक्तोंको नमस्कार। आप सभी को मालूम है दशहरा या देवी नवरात्री के पश्चात कुछलोग, या फिर देवउठनी ग्यारस (दिवाली के बाद आने वाली एकादसी) के पश्चात कुछ लोग नर्मदा परिक्रमा करना शुरू करते है। लेकिन जो व्यक्ती पहली बार परिक्रमा करते है उनके मन मे बहुत संदेह, कायदे-कानून जानने की उत्सुकता रहती है। हर व्यक्ती अपना अलग कायदे व नियम लेकर चलते है। अंत मे परिक्रमा तो मैया जी की ही करनी है।
      Greetings to all Narmada devotees. You all know that some people start doing Narmada Parikrama after Dussehra or Devi Navaratri, and some start after Dev uthani Gyaras (Ekadasi after Diwali). But for the first time, the person who goes for parikrama has a lot of doubts and eagerness to know the rules and regulations. Every person takes their own different rules . In the end, Maiya ji's circumambulation has to be done .
      
       मुझे बहुत से व्यक्तिओंने व्यक्तिगत रूपसे फ़ोन पर, व्हाट्सएप्प तथा फेसबुक पर नर्मदा परिक्रमा करने की नियम बताने बोले है। उनसबके इच्छा से ओर भी बहुत नए व्यक्ति जो परिक्रमा करना चाहते है ओर उसके नियम जानकारी लेना चाहते है, उनके लिए में अपने पैदल परिक्रमा के अनुभव तथा जितने नियम हमको बताया गया है वह आप सभी से शेयर कर रहा हूं। इनमे जो नियम मेने बताया है वह सब मुझे पूछे हुए प्रश्नो के आधार पर मेने बनाया है। इसमें कुल 30 नियम मेने आपलोगोंको बताया है। होसकता है मेरे द्वारा बताए गए कुछ नियम अन्य व्यक्तियों के नियम से थोड़ा अलग हो, लेकिन थोड़ा फर्क रहनेसे भी जो नियम में जानता हूं, सुना हुँ, पालन किया हुँ, वही आप सभी को बता रहा हूँ। कृपया कोई व्यक्ती मेरे कुछ टिप्पणियों को व्यक्तीगत रूप से न लें। आप सभी की नर्मदा परिक्रमा यात्रा मंगलमय हो। माँ रेवा आपकी यात्रा अविघ्न रूप से पूर्ण करें, आपको तथा आपके परिवार की कल्याण करें। 
         Many people have asked me personally about the rules of Narmada Parikrama over phone, WhatsApp and Facebook. Even with all their wishes and for many new people who want to do Parikrama and want to know the rules of it, I am sharing with you all, the experiences of my Parikrama and the rules we have been told . All the rules I have placed here are based on the questions asked to me and the rules I have been told during my parikrama. In this, I have told you a total of 30 rules. May be some of the rules that I have told you are a little different from the rules of other people, but even with a little difference, I am telling you all the rules what I know  heard, followed during my parikrama.  Please do not take some of my comments personally. Happy Narmada Parikrama Yatra to all of you. May Maa Reva complete your journey in an uninterrupted way, may she bless for the welfare you and your family.

*नर्मदा परिक्रमा का महत्व को समझ कर परिक्रमा करें*

Do Parikrama after understanding the importance of Narmada Parikrama( circumambulation)


🌺 नर्मदे हर 🌺

Narmade Har


        सभी नर्मदा भक्त, सेवक, अन्नक्षेत्र संचालक, आश्रम तथा अन्य सभी नर्मदा भक्तों को प्रणाम। हम सब यह जानते है नर्मदा परिक्रमा सब करते है, रास्ते मे उनको सेवा मिलती है, दान-पुण्य, सेवा सब होता है। परंतु एक दुखद विषय है, आज के दिन मे नर्मदा परिक्रमा का महत्व धीरे धीरे कम हो रहा है। यह परिक्रमा कम ओर पिकनिक ज्यादा मनाया जा रहा है। लोगों मे भक्ति भाव कम और स्वार्थ तथा पर्यटन भाव ही ज्यादा दिख रहा है।

      Regards to all Narmada devotees, servants, Annakshetra operators, ashrams and all other Narmada devotees. We all know that Narmada Parikrama (circumambulation) is done by everyone, and on the way, they get service, charity, services everything. But there is a sad topic, in today's day the importance of Narmada Parikrama is slowly decreasing. This parikrama is being observed less and more in the sense of a picnic. People are showing less devotion and more selfishness and tourism.

         सदियों ज़माने से चले आरहे इस आध्यात्मिक प्रथा को आज अलग रूप देकर परिक्रमा का दर्जा दी जा रही है। एक समय ऐसा था जब सिर्फ मुनी, ऋषी, तथा साधु-संथ, व साधारण व्यक्ती दैविक ओर आध्यात्मिक चिंतन के लिए परिक्रमा करते थे। वहां खड़ाऊ पहन कर य नंगे पाऊँ चलकर एक तपस्या की तरह परिक्रमा होतिथी। केवल दिन मे एक समय जो भी रुख सूखा भोजन, फ़ल, सब्जी,जल मिलता था या सिर्फ 5 गृह से भिक्षा मांगकर सिर्फ उसी से अपना पेट के अग्नि को शांत करना, सिर्फ दैव चिंतन करना य जप,तप, मौन इत्यादी मार्गों से परिक्रमा पूर्ण करना होता था। वहाँ साधक केवल आध्यत्म चिंतन तथा तपस्या करने ही जाता था। अपने स्व-लाभ के य मुझे यह मिल जाए तो में परिक्रमा करूँगा करके नही जाता था।

           This spiritual practice, which has been going on since centuries, is being given the status of parikrama by giving it a different form now. There was a time when only sages, saints,  sadhaks and ordinary people used to do Parikrama (circumambulation) for divine and spiritual contemplation. There the Parikrama (circumambulation) was done like a penance by wearing a khatau or walking barefoot. Only at one time taking a meal in a day, whatever approach was available dry food, fruits, vegetables, water or by asking for alms from only 5 houses, they could pacify the fire of their stomach . By practicing only divine thinking, chanting, austerity, silence etc. they were completing the parikrama. There the seeker used to go only for spiritual contemplation and penance but not for their own benefit or they were not saying if my wish is fulfilled I will do Parikrama (circumambulation).

     परन्तु आज कुछ व्यक्ति सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए, कुछ व्यक्ति कुछ कमाई के लिए, कुछ व्यक्ति किसी के कहने पर कोई शास्त्र मे माहिर होने के स्वार्थ के लिए, कुछ प्रकृती के नजारों के लिए, कुछ केवल समय बिताने के लिए, ओर कुछ फोटो वीडियो बनाकर अपना आध्यात्मिक ज्ञान कम और पर्यटन ज्यादा का सुझाव देने के लिए, और सबसे ज्यादा कुछ व्यक्ती रेस लगाने के लिए, कितने संख्या मे परिक्रमा किए यह जताने के लिए परिक्रमा कर रहे है। बहुत ही अजीब है यह।

      But today some people just for their selfishness, some people for some earning, some people on the behest of someone for the selfishness of being expert in some scriptures, some for the views of nature, some just to spend time, and some for photos. by making a videos to suggest less spiritual knowledge and more tourism, and most of all some people are doing parikrama to show the number of parikrama they have done and some to run the race. It's very strange.

      *परिक्रमा का महत्व क्रीपया सब समझे। यह निस्वार्थ रूप से अपने आप को भगवान के चरणों मे समर्पण करते हुए, भूख-प्यास, इच्छाएँ, इत्यादी की त्याग करके निरंतर भगवत चिंतन में रहकर हर एक तीर्थ स्थल को दर्शन करते हुए, उनके विशेषताओं जानकर उचित कार्य करते हुए ,जंगल, झाड़ी, पर्वत, खेत,जल इत्यादी के सामना करते हुए, एकांत मे ध्यान करते हुए , दिन मे एक य दो बार जो भी भोजन य सामग्री मिले उन्हें प्रसाद समझ कर स्वीकार करते हुए आगे बढ़कर माँ नर्मदा जी के साथ साथ यहां के लाखों तीर्थ स्थलों का दर्शन करके मानव रूपी शरीर को अपने कर्म, कुकर्म, ग्रह पीड़ा से मुक्त करके सतचिन्तन, सदमार्ग मे रहने की उद्देश्य  मे करने वाला आध्यात्मिक परिक्रमा है।*

        * Please understand the importance of Parikrama. Its selflessly surrendering our-self to the feet of the Lord, sacrificing hunger-thirst, desires, etc., living in constant contemplation of God, visiting every place of pilgrimage, knowing their importance, doing proper service there, facing forest, bushes, mountains, fields, water, etc., meditating in solitude, accepting whatever food or material you get once or twice a day as prasad, move forward along with Mother Narmada ji to lakhs of pilgrimage sites here. It is a spiritual Parikrama (circumambulation) to free the human body from its karma, misdeeds, planetary pains by having a vision of it, in the object of being on the right path.*

     *शिव पुराण के अनुसार मनुष्य अपने कर्म तथा पापों से मुक्त होनेके लिए एक नियम है। अपने आँखों से देखकर जो पाप होता है उसके लिए सर्वथा भगवद दर्शन करना है, कानों से किए पाप के लिए सर्वथा भगवद नाम सुनना है, वाणी से किए पाप के लिए सर्वथा भगवत नाम स्मरण करना है, हाथों से किए पाप के लिए भगवद नाम को जप करना है, पाऊँ तथा पैर से किए पापों के लिए भगवद य मंदिर परिक्रमा करना है। तथा शरीर ,मन ,बुद्धि से  किए पाप य कर्मों के लिए पैदल तीर्थ स्थलों का दर्शन करने जाकर उपरोक्त हर दैविक कार्य करना है।* और यही बात को हम अपने नर्मदा परिक्रमा मे भी समझना है। मनुष्य मात्र जाने अंजाने मे किसी भी प्रकार का गलत कार्य देखना, गलत शब्द सुनना, गलत शब्द बोलना, हाथ य पाऊँ से किसी भी प्राणी (चाहे सूक्ष्म क्यों न हो) का हानी करना, मन,शरीर,बुद्धि चिंता से कुकर्म मे लिप्त होजाता है। इन सब से मुक्त पाने तथा अपने आप को सदमार्ग मे लाने के लिए नर्मदा परिक्रमा एक उदाहरण है। इसका यह मतलब नही के परिक्रमा करते ही अपने कर्म य पाप नष्ट होजाएंगे। इसका मतलब है की हम भटके हुए रास्ते से सदमार्ग मे आकर बाकी के जीवन को अच्छा बनाएँ।

         According to Shiva Purana, there is a rule for a man to be free from his karma and sins. For the sin that is committed by seeing with our eyes, one has to see the Lord (statue or image) completely, for the sin committed with the ears, one has to hear the name of the Lord, for the sin committed by speech, one has to remember the name of the Lord, for the sin committed with the hands, the name of the Lord has to chant with a rosery and circumambulate the Lord's temple for the sins committed by the feet. And for the sins or deeds done by body, mind and intellect, you have to do all the above mentioned divine work by visiting pilgrimage sites on foot. And we have to understand the same thing in our Narmada Parikrama also. Human beings knowingly  or unknowingly by seeing any kind of wrongdoing, hearing wrong words, speaking wrong words, harming any creature (whether subtle) with hand or foot, or by mind, body, intellect gets involved in misdeeds. Narmada Parikrama is an example to get rid of all these and bring oneself on the right path. This does not mean that your karma or sins will be destroyed as soon as you do parikrama (circumambulate). This means that we can make the rest of our life good by coming to the right path from the lost path.

     *परंतु आज कल व्यक्ति परिक्रमा को पिकनिक के तरह कर रहे है। कहाँ भोजन मिलेगा, कोनसे जगह ज्यादा दान मिलेगा, कहाँ ताम-झाम की सुविधाएँ है, कहाँ पर एसो-आराम से रात को सो सकते है, मुझे यह नही खाना वो नही खाना, चाय, काफ़ी, दूध नही तो चलता नहीँ, मेरे घर य शहर आओ तो मलाई वाला दूध से चाय मिलेगा ऐसे बातों से सेवकों को दिल दुखाकर, रुकने वाले परिसर तथा उसके चारों ओर  को गंदा करके, झगड़े, चुटकुले, फ़ोटो,वीडियो लेते हुए, यूट्यूब की कमाई को मद्देनजर रखते हुए, परिक्रमा के नियमों के धज्जियां उड़ाकर खुद के नियमों से परिक्रमा करते है। यह बहुत दुःख का विषय है।*

      But nowadays people are doing Parikrama like a picnic. With an intention where will we get food, which place we will get more donations, where are the facilities available, where we can sleep comfortably at night, saying I do not eat this or that food, I can't live without tea, coffee, milk, and by saying if you come my house or to the city, you will get tea from cream milk, saying such things and hurting the devotee servants, making the premises and its surroundings dirty, by quarrels, cracking jokes, taking photos, videos, keeping in view the earnings of YouTube, they are flouting the rules of parikrama making their own rules for parikrama. This is a matter of great sorrow.*

    समय ऐसा था परिक्रमा वासियों को बहुत सन्मान मिलता था। अब कुछ स्थानों मे ऐसा माहोल आगया है, के परिक्रमा वासी गुजरते ही वहाँ के निवासियों को लगता है "देखो आगये फ़्री का खाने,पीने, अपने परिसरों मे गंदगी फैलाने।" यह कुछ व्यक्तियों के कारण पूरे परिक्रमा वासिओंको दोषी ठहराते है। मेने खुद जब अपने परिक्रमा के दौरान शूलपाणी झाड़ी, अमरकंटक जंगल मार्ग से गुजरते हुए वहाँ के मूल निवासियों से संपर्क मे आकर बात करने के दौरान वे यह चिंता ओर परिक्रमा वासियों के प्रति अपना भाव व्यक्त किए। कुछ विशेष राज्य, तथा शहर, य स्थान के व्यक्तियों के ऊपर वे आरोप करते है। कुछ स्वार्थ, अकल के अंधो से हुई गलतियों के कारण पूरे परिक्रमा वासिओंको दोषी ठहराया जाता है। क्रीपया इस विषय का ध्यान दें।

       The time was such that Parikrama vasis used to get a lot of respect. Now such an atmosphere has come in some places, as soon as the parikrama vasis pass, the residents there think, "Look, they came to eat, drink for free and spread dirt in your premises." It blames the entire parikrama vasis because of a few persons. During my parikrama, while passing through the Shoolpani Jungle, Amarkantak forest road and while talking to the natives there, they expressed this concern and their feelings towards the parikrama vasis. They accuse people of some particular state, city, or place. The entire parikrama vasis are blamed due to some selfishness, the mistakes made by the blind intellectuals. Please pay attention to this topic.

     मेरा किसी व्यक्ती, समुदाय, राज्य, तथा अन्य व्यक्तियों से विवाद नहीं है। मुझे आप सभीको इतना बताना है, की परिक्रमा का महत्व समझें, फिर परिक्रमा करें। अन्यथा धीरे-धीरे नर्मदा परिक्रमा का महत्व संपूर्ण रूप से मिट जाएगा। नर्मदा क्षेत्रों मे परिक्रमा वासी एक कलंक बनकर न रहे बल्कि एक साधुवाद, आध्यात्मिक चिंतन का परिचय दे।

       I have no rivalry with any individual, community, state or other persons. I have to tell all of you this much, understand the importance of parikrama, then do parikrama. Otherwise, gradually the importance of Narmada Parikrama will be completely erased. The Parikrama vasis should not remain as a stigma in the minds of the residents of Narmada areas  , but should show their gratitude, spiritual thought.

     आशा करता हूं मेरा यह उद्देश्य आप सबको जागृत करे, परिक्रमा का महत्व समझ कर अपनों को ओर मित्रों को उचित जानकारी दें।

      I hope this purpose of mine should awaken all of you, to understand the importance of parikrama and give proper information to your loved ones and friends.

                                                                                                                  आपका ,

                                                                                                               रवि कुमार

                                                                                                                  Yours,

                                                                                                            Ravi Kumar



     नर्मदा परिक्रमा करने का नियम (पैदल परिक्रमा))
Rules to do Narmada Parikrama (By walk)


परिक्रमा शुरू करने से पहले कुछ नियम:
Some rules before starting the Parikrama (Circumambulation:)

1) परिक्रमा से पहले क्या करें ?

) सर्व प्रथम अगर आप परिक्रमा करना चाहते हैं , तो कृपया आप अपने घर -परिवार को जानकारी देकर ही परिक्रमा पर निकले ! ऐसा नहीं की किसी सदस्य से वाद विवाद करके य दुःख के कारण आप किसीको बिना बताये घर से निकलकर परिक्रमा करने चलेगए ! इस से भले ही आप परिक्रमा कर रहे हो , परन्तु मन्न कभी प्रसन्न नहीं रहता हे ! हर वक़्त बेचैनी रहती हे . ईश्वर पर ध्यान कम और अनावश्यक चिंता ज्यादा रहता हे ! ऐसा भी होजाता हे की आपको परिक्रमा खंडित करके आधे मे कहीं वापिस जाना पड़ेगा ! यह मैया जी परीक्षा लेती हे . इसका कारण आप अपने स्वजन को दुखित करके उनको परेशान करके बिना बताए घर  निकल कर उनके दुःख का भागिदार बन जाते हो !  जब स्वजन दुखी हो तो ईश्वर के प्रिय आप कैसे हो सकते हो ? इस वजह से चाहे जो भी होजाए , परिक्रमा करने निकलने से पहले अपने परिवार वर्ग का अनुमति लेकर ही जाए ! इस से आपको य किसीको परेशानी नहीं होगी !

 

1) What to do before circumambulation/ Parikrama?

Ans) First of all, if you want to circumambulate or to do Parikrama, then please go out on parikrama only after giving information to your family members. It is not that after arguing with any member or due to sorrow, you went out of the house without informing anyone and went for circumambulation. Even if you are doing circumambulation with this, you will never feel happy. There is restlessness all the time. There is less concentration on God and more on unnecessary thoughts. It also happens that you will have to break the circumambulation/ Parikrama and go back somewhere in half. This is how Maya ji takes the test. The reason for this is that by hurting your loved ones, you become a partaker of their sorrow by leaving home without informing them. How can you be dear to God when your loved ones are unhappy? Whatever happens, before going out to circumambulate /Parikrama, take the permission of your family members. This will not cause any trouble to you or anyone.


2) कितने लोग साथ मे परिक्रमा कर सकते है ?

उ) एक निरंजन, दो सुखी, तीन मे खटपट, चार दुखी.

- अगर आप अकेले जा रहे है तो कोई चिंता नहीं, यह सबसे उत्तम है । कहीं मन चाहे रुक सकते हैं , या मन न करे तो आगे बढ़ सकते है। सब देखभाल, जरूरतें माँ नर्मदा जी व्यवस्था करावा देती है। कहीं कोई आपत्ति या विपत्ति नहीं आता है। बस माँ नर्मदा जी पर भरोसा रखें ।

- अगर दो जन जा रहें है तो भी अच्छा है। कहीं कुछ दुविधा हो या जरुरत हो तो एक दूसरे के काम आएंगे। छोटे मोटे वाद विवाद सब मे होता है , लेकिन दो व्यक्तिओं के बीच मे हुए वाद सुलझ जाते है ओर यात्रा भी खुसी-खुसी संपन्न होजाता है।

- अगर तीन व्यक्ति जा रहें है तो ठीक है। कहीं कुछ दुविधा हो या जरुरत हो तो एक दूसरे के काम आएंगे। छोटे मोटे वाद विवाद निपटाते हुए एक दूसरे के मन ओर इच्छाओंको मद्दे नजर रखते हुए यात्रा करना पड़ता है।

- अगर चार या उस से अधिक व्यक्ति जा रहें है तो जरा सम्भल के जाएं । वाद विवाद निपटाते हुए एक दूसरे के मन ओर इच्छाओंको मद्दे नजर रखते हुए यात्रा करने से अच्छा है , वरना खट-पट ज्यादा रहा तो सम्पर्क किसी मे नहीं बनता । ध्यान माँ नर्मदा जी पर कम ओर अपने विवादों पर ज्यादा रहेगा तो परिक्रमा का कोई मोल नहीं रहता है । किसीको रुकना होगा, किसीको जाना होगा , किसीको खाना होगा, ऐसे छोटे-छोटे बातें भी बड़े वाद के रूप ले सकते है। वरना कोई दिक्कत नहीं होता है ।

 

2) How many people can go for Parikrama together?

A) One is better (free from all bonds), two happy, three hurts, four sad.

No worries if you are going alone, this is the best. you can stop anywhere you wish, or if the mind does not, then you can move forward. Mother Narmada ji provides all the care and needs. No objection or misfortune comes anywhere. Just trust mother Narmada ji.

- If two people are going together then it is also good. If there is some dilemma or if necessary, they can help each other. Small petty disputes happen between everyone, but the disputes between two people are resolved and the journey also ends quite smoothly.

- If three people are going together then it is fine. If there is some dilemma or if necessary, they can help each other. Dealing with petty disputes, one has to travel keeping an eye on each other's mind and desires.

 If four or more people are going together then be cautious. Dealing with a dispute is better than traveling together and keeping an eye on each other's mind and desires. otherwise good relation is not made if they trouble each other. If the attention is less on Maa Narmada and more on the disputes, then there is no value for the parikrama. Somebody has to stop, somebody has to go, somebody has to eat, even such small things can take the form of big arguments. Otherwise there is no problem for going together with four or more people.

 

3) परिक्रमा कितने प्रकार के हे? एवं कितने दिन की होती हे?

उ) सृष्टि में एक मात्र नर्मदा नदी ही कल्पान्त के बाद भी प्रवाहित होती है। एवं एक मात्र नर्मदा नदी हे जिसकी परिक्रमा होती हे ! कालानुक्रमेण, देश काल परिस्थितियों के अनुसर विभिन्न प्रकार के परिक्रमाओं का प्रचलित हे, जैसे की मार्कंडेय परिक्रमा, पद्मक परिक्रमा, जल-हरी परिक्रमा, रूंडा परिक्रमा, मुंडमाला परिक्रमा, दंडवत्  परिक्रमा, हनुमत् परिक्रमा, द्रविड परिक्रमा, आर्य परिक्रमा, चंद्रकोर परिक्रमा, समर्पण परिक्रमा, जलकुंड परिक्रमा, विहंगम परिक्रमा, अंतःसलिला परिक्रमा, त्रिकूट परिक्रमा, इत्यादि ! जिसमे से केवल कुछ ही आज के समय में प्रचलन हे !

  

मूल तह परिक्रमा 3 साल 3 महीने 13 दिन की होती है । उसमे कम से कम 3 चातुर्मास भी होते है। परिक्रमा वासी हर एक तीर्थ स्थल, घाट, मंदिरोंका दर्शन करते हुए परिक्रमा सम्पूर्ण कर सकते है। परन्तु समय के अभाव या अन्य कारणों के वजह से लोग अपने समय के अनुसार परिक्रमा करते है। कोई 4 महीने मे, तो कोई 3 महीने मे, कोई 1 साल मे, तो कोई 6 महीने मे। जो समय उपलभ्द हुआ उसके अनुसार परिक्रमा कर सकते है। 

         

                   कुछ लोगों के पास समय अभाव ज्यादा होता है, या विदेश मे रहते है, तो वो लोग खंडित परिक्रमा भी करते है। खंडित परिक्रमा मे व्यक्ति परिक्रमा उठाते है और अगर 1 महीने बाद उनको परिक्रमा छोड़ कर जाना पड़ेगा तो , वे अपने पास रखे हुए नर्मदा जल के पूजा की सीसी को कोई मंदिर, आश्रम , कुटी या श्रद्धालु के घर मे रख कर अपने घर वापस चले जाते है। फिर कुछ दिनोंके या महीनोंके बाद वापस आकर, वापस उसी स्थान से परिक्रमा प्रारम्भ करते है। इस प्रकार वे जितने बार होसके उतने बार अपनी परिक्रमा को खंडित करते हुए परिक्रमा पूर्ण करते है। परन्तु श्रेयस्कर है, आप परिक्रमा खंडित न करके एक ही समय पूर्ण करलें , भले ही 3 महीने या उस से ज्यादा क्यों  न हो।

 

3) How many types of parikrama are there? And how long is it ?

A) Only Narmada river in the universe flows even after Kalpanta (Destruction of universe). And Narmada is the only river to which parikrama or circumambulation is done. According to the chronology, country and time conditions, different types of parikramas are prevalent, such as Markandey Parikrama, Padmak Parikrama, Jal-hari Parikrama, Runda Parikrama, Mundmala Parikrama, Dandvat Parikrama, Hanumat Parikrama, Dravid Parikrama, Arya Parikrama, Chandrakor Parikrama, Samarpan Parikrama, Jalkund Parikrama, Antahsalila Parikrama, Trikut Parikrama, etc. Only a few of which are prevalent today.

Basically Parikrama period is 3 years, 3 months, 13 days. There are also at least 3 Chaturmas. The Parikramavasis (People doing Parikrama) can complete the parikrama by visiting every pilgrimage site, ghats and temples. But due to lack of time or other reasons, some people do Parikrama according to their time. Some complete in 4 months, some in 3 months, some in 1 year, some in 6 months. You can do Parikrama according to the time available to you.

            Some people have less time, or live abroad, then they do kahndit Parikrama (a fragmented circumambulation). In a Kahndit parikrama, the person takes the parikrama and if they have to leave the parikrama after 1 month, they would go back to their house by keeping the bottle of Narmada water worshiped by them in a temple, ashram, kuti or in the house of a devotee. Then after a few days or months, coming back, they start the Parikrama from the same place where they kept the holy water bottle. In this way, they complete the Parikrama, ruining their Parikrama as many times as they can. But it is good and advisable, do not break the Parikrama and complete the same at one time, even if it is in 3 months or more.

 

4) चातुर मास क्या होता हे?

उ) देवशयनी एकादशी या देवपोढ़ी एकादशी या महा -एकादशी या प्रथम -एकादशी , आषाढ़ महीने (जून-जुलाई) के शुक्ल पक्ष एकादशी से शुरू होता हे। इसे आषाढ़ी एकादशी भी कहते हे। कहाजाता है इसी दिन श्री हरी या विष्णु जी क्षीर सागर पर शेषनाग के ऊपर शयन करते है। इसीलिए इस दिन को देवशयनी एकादशी कहते है। और फिर श्री विष्णु जी कार्तिक महीने (अक्टूबर नवंबर ) के शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी देवउठनी या देव उत्थान एकादशी को क्षीर सागर में चार महीने की योग निद्रा के बाद भगवान विष्णु इस दिन उठते हैं। इस चार महीने के समय को चातुर्मास कहते है।

           इन चातुर्मास के समय नर्मदा जी का परिक्रमा भी वर्जित रहता हे। परिक्रमा वासिओंको कोई मंदिर, आश्रम, कुटी या श्रद्धालु के घर पर रहकर इन चातुर्मास मे भजन कीर्तन आदी करना पड़ता है। वे इस समय परिक्रम नहीं कर सकते है। माना जाता है की अपने देश मे जून महीने से अक्टूबर महीने तक बारिश का मौसम रहता है। उस समय नर्मदा जी मे जलस्थर भी भयंकर रहता है। बहुत जगहों पर भयंकर बाढ़ भी आती है। इसी वजह से परिक्रमा वासिओंको यह चार महीने परिक्रमा करना मना है। कारण जो भी हो परिक्रमा वासिओंको इतना मानके चलना है की चातुर्मास मे परिक्रमा नहीं करना है।

 

4) What is Chatur maas?

A) Devshayani Ekadashi or Devpodhi Ekadashi or Maha-Ekadashi or Pratham-Ekadashi starts on the Shukla Paksha Ekadashi of the month of Ashadh (June-July). It is also called Ashadhi Ekadashi. It is said that on this day, Shri Hari or Vishnu ji sleeps on Sheshnag on the sea of ​​Ksheer or milk. That is why this day is called Devshayani Ekadashi. And then Lord Vishnu rises after four months of yoga sleep in Ksheer Sagar on the Shukla Paksha Ekadashi i.e. Devauthani or Dev Utthan Ekadashi of Kartik month (October - November). This four months time is called Chaturmas.

                 During these chaturmas Narmada ji's circumambulation is also forbidden. Parikrama vasis have to use Bhajan Kirtan in these chaturmas by staying in a temple, ashram, kuti or a devotee's house. They cannot go for Parikrama at this time. It is believed that there is rainy season in your country from the month of June to October. At that time, water level in Narmada ji is also terrible. Severe floods also occur in many places. For this reason, the Parikrama vasis are forbidden to do Parikrama in these four months. Whatever may be the reason, the Parikrama vasis have to obey this, that there is no Parikrama (circumambulation) in the Chaturmas.

 

5) पहनने को किस प्रकार की कपडे लेना है?

उ) पुरुष : 2 सफेद रंग के धोती, 2 फुल या हाफ कुर्ते ( जिस से आप आराम अनुभव करें ), 2 इनर वेर (गंजी, अंडरवेर या लंगोट ), 1 या 2 पोंछने के लिए टॉवेल (यह सभी कॉटन के होने से अच्छा है)

महिला : 2 सफेद रंग के साड़ी, 2 फुल या हाफ ब्लाउज ( जिस से आप आराम अनुभव करें ), 2 लेहंगा या साया या पिटीकोट या फिर आप चूड़ीदार या कुरता - पैजामा पहनते हे तो 2 जोड़ी, 1 या 2 पोंछने के लिए टॉवेल ( यह सभी कॉटन के होने से अच्छा है)

 

5) What type of clothes should be taken to wear?

A) Men: 2 white coloured dhotis, 2 full or half kurtas (so that you can feel comfortable), 2 inner wear (ganji, underwear or langot), 1 or 2 towels for wiping (it is better to keep all Cotton clothes).

Women: 2 white colored sarees, 2 full or half blouses (so that you feel comfortable), 2 lehenga or saya or petticoats or if you wear chudidar or kurta-payjamas then 2 pairs, 1 or 2 towels for wiping (it is better to keep all Cotton clothes).

 

6) ओढ़ने बिछाने के लिए क्या रखना है?

उ) (परिक्रमा का मतलब एक प्रकार का सन्यास जीवन है। आप जितना आराम दायक चीजोंका इस्तेमाल वर्जित करें उतना अच्छा है )

सोने के लिए : बेड रोल (बाजार में मिलते है) , या फिर एक सीमेंट का दरी (यह भी सिया हुआ बाजार में मिलते है ) - जितने हल्के हो उतना अच्छा है

ओढ़नेके लिए : 1 कॉटन का चद्दर - जितने हल्के हो उतना अच्छा है

गर्म कपडे (स्वेटर ,मफलर या मंकी केप)

 

6) What to keep to cover & laying of ?

A) (Parikrama means a kind of renunciating the world or an ascetic life. The more you forbid comforting things you use, that much is good.)

For sleeping: Bed rolls (found in the market), or a bed roll made of cement bag (also found in the market ) - (the lighter they are, are the best)

To cover: 1 cotton bed sheet - (the lighter it is, is the best)

Hot clothes (sweater, muffler or monkey cap)

 

7) सुबह के नित्य कर्मो के लिए:

उ) 1 ब्रश, 1 जीभी, 1 पेस्ट का पैक

 

7) For daily morning routine work:

A) 1 brush, 1 tongue cleaner, 1 pack of tooth paste

 

8) पूजा के लिए क्या समग्री रखना है?

उ) 1) नर्मदा मैया जी का छोटा चित्र ( फोटो )

2) नर्मदा जल रखके पूजा करनेके लिए छोटा सीसी ( हर घाट में प्लास्टिक के सीसी मिलता है )

3) एक बांस का काठी/ दंड ( जिसको पकड़ के आपको परिक्रमा करना है )

4) एक कमंडल ( जल भरके रखने के लिए 1/2 या 1 लीटर का एक स्टील या ताम्बे का केन ), जिसका पानी ही आप को प्यास के वक्त पीना है .

5) 1 छोटा पीतल या स्टील या ताम्बे का थाली, चन्दन घोलने के लिए छोटा कटोरी, प्रसाद रखने के लिए छोटा कटोरी ( या फिर आप यह सब एक थाली में ही रख सकते है ).

6) सूर्य जी को या किसी मंदिर मे जल चढाने के लिए एक छोटा, पतला, ताम्बे या पीतल का लोटा (अपने चार ऊँगली के बराबर छोटा लेना ही उत्तम हे)

7) छोटी अगरबत्ती का स्टैंड .

8) छोटी दिया, जिसके अंदर आप बत्ती डाल सकें और दिया हवा आनेसे न बुझे .

9) छोटा सा चंदन ओर कुंकुम या सिंदूर के डिब्बें .

10) एक छोटा सा घंटी ओर/ या शंख (अगर आप पूजा के समय बजाते है तो ).

11) एक माचिस, एक अगरबत्ती का पैक, एक कपूर के दाने का पैक .

12) प्रसाद के लिए सक्कर के दाने (चिरोंजी) या मूंगफली के दाने (जो आपको ठीक लगे)

13) नर्मदास्टक या नर्मदा आरती न आती है तो एक छोटा पुस्तक रखलीजिए .

14) एक नोट बुक ओर पेन रखलीजिए, जिसमे आपको कोई आश्रम या अन्नक्षेत्र मे सील डालने के लिए चाहिए। साथ ही अगर उसमे ज्यादा पन्ने या पेज हो तो उसमे आपके खास अनुभव लिखके याद रखनेके लिए काम आएगा ।

15) होसके तो एक छोटासा आध्यात्मिक ग्रन्थ जैसे भगवद्गीता या कुछ ओर ग्रन्थ नित्य पठन के लिए अपने साथ रखें ।

16) हो सकेतो छोटेदाने वाले रुद्राक्ष या तुलसी या कोई ओर माला रखलीजिए। क्योंके दिन भर के थकान से पूजा ठीक से न होपाए लेकिन माला फेर के भगवान के नाम स्मरण करनेसे मन को सुकून ओर भगवत अनुग्रह मिलता है।

(हमेशा आप पूजा सामग्री को 12 से 15 दिन आपके पास उपलब्ध रहने जेसा देखिए । क्योंके अगर आपके पास सामग्री ख़त्म होगए तो खरीदने के लिए आस पास कोई छोटा सहर हो तो सब सामग्री मिलजाएगी, छोटे गाँव मे सामग्रीओंका मिलना मुश्किल होजाता है )

 

8) What material / things are to be kept for Puja/ worship?

A) 1) Small picture of Narmada Maiya Ji (Photo)

2) Small bottle for keeping & worshiping Narmada water (plastic bottles are available in every ghat)

3) A bamboo stick ( you have to do Parikrama by holding it)

4) A tumbler (1/2 or 1 liter of steel or copper cane to keep water filled), whose water you have to drink during thirst.

5) 1 small brass or steel or copper plate, small bowl for sandalwood paste, small bowl for keeping prasad (or you can keep it all in one medium size plate only).

6) A small, thin, copper or brass lota (pot) to carry water to offer Surya ji (Sun god) or in any temple (it is best to take a small one equal to your four fingers)

7) Small incense sticks stand.

8) Small lamp, inside which you can put the light and the lamp should not be blown by the wind.

9) Small sandalwood and kunkum or vermilion boxes.

10) A small bell / or conch (if you play it at the time of worship).

11) One match box, one pack of incense sticks, one camphor pack.

12) Small sugar candy (Chironji) or Peanut (which you like) for prasad

13) If do not know Narmadastak or Narmada Aarti ,then keep a small book of it.

14) Keep a note book and pen, in which you need to put a seal in an ashram or Annakshetra. Also, if it has more pages, then it will be useful to remember by writing your special experience in it.

15) If possible, keep a small spiritual book like Bhagavad Gita or some other book with you for regular reading.

16) If possible, keep a garland containing Rudraksh or Tulsi or any other garland. Because due to day's tiredness in the day you may not worship properly, but by chanting the name of God by turning the garland, your mind gets relaxed and you will get God's grace.

(Always look for the pooja material to be available with you for 12 to 15 days. Because if you have finished the material, then if there is a small town nearby, you can buy all the materials you need. But it is difficult to get the materials in the small villages you come across)

 

9) बर्तन भांडे कुछ रखना है क्या? ओर कोई अन्य वस्तु भी रखें क्या?

उ) 1) आपको 1 थाली, 1 गिलास हमेशा अपने थैले मे रखना है।

2) अगर आप रस्ते मे कहीं भोजन प्रसाद खुद बनाना चाहें तो 1 छोटी कढ़ाई, 1 पतीला, दोनों के लिए ढक्क्न, 1 करछी रखलीजिए। ज्यादा सामग्री रखेंगे तो आपको खुद वजन ढोना/ उठाना पड़ेगा ।

3) एक टोर्च लाइट रखें, जरूरत मे अँधेरे मे काम आएगा ।

4) एक पतला नायलॉन या प्लास्टिक की रस्सी पास मे रखें, कहीं जरुरत पड़े तो कपडे सुखाने या कुछ बांध्ने को काम आएगा।

5) अगर आप कोई मेडिसिन्स लेते है तो उनको याद् से रखलें।

6) एक छोटा सा बैग या थैला मोड़कर अपने बैग मे रखें (कहीं कोई व्यक्ति आपको कोई खाने-पिने या अन्य वस्तु देंगे और अगर आपका एयर बैग या झोला या थैले मे जगह न हो तो यह उस वक्त काम आएगा)

7) ओ. आर .एस. या ग्लूकोज के सेचेट या पैकेट -

क्यों  के हम परिक्रमा के दौरान बहुत चलते हे . कभी बहुत धूप या पानी न मिलने के कारण निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) होजाता हे! बहुत थकान लगता हे.  इस वजह से हमें शक्ति रखने के लिए उस समय यह ओ.आर.एस. या ग्लूकोज पानी  में घोल कर पिने से आराम लगेगा . 

8) अपना पहचान पत्र जरूर रखें(आधार/वोटर आई.डी./ड्राइविंग लाइसेंस/अन्य सरकारी पहचान पत्र), जिससे आपका परिक्रमा शुरू करने के लिए पहचान पत्र बनाना पड़ता है। श्री क्षेत्र ओंकारेश्वर से परिक्रमा शुरू रने वाले भक्त "मातृरक्षा सेवा संघटन", भक्त निवास के सामने, श्री निषाद राज भवन, ओंकारेश्वर, फ़ोन एवं व्हाट्सएप संपर्क क्रमांक- 94248 40977 से संपर्क कर के अपना पहचान पत्र दिखाकर, निःशुल्क परिक्रमा-पहचान पत्र बनवा सकते हैं।

 

9) Do we need to keep some utensils? Do we have to keep any other item/ things?

A) 1) You have to always keep 1 plate, 1 glass in your bag.

2) If you want to make your own food offerings somewhere on the way, then keep 1 small cauldron (Kadhai) , 1 pot, two covers for both, 1 flat spoon (Karchi). If you have more material, you will have to carry / lift weight yourself. so Keep less things with yourself.

3) Keep a torch light, it will work in the dark if needed.

4) Keep a thin nylon or plastic rope nearby, which will be useful if needed for drying clothes or tying anything .

5) If you take any medicines, then keep them without fail.

6) Keep a small bag by folding in your bag (Some person may give you some food or other items and it will be useful to keep those things in the extra bag if you do not have space in your air bag or bag ).

7) O.R.S. or Glucose packet or sachet- 

Because we walk a lot during the Parikrama . Sometimes dehydration occurs due to sunlight or not getting enough  water. We feel very tired. Because of this, to keep us energetic at that time, drinking this O. R S. or glucose dissolving  in water will give us relief.

8) Keep your identity card (Aadhaar / Voter ID / Driving license / other government identity card), from which you have to make an identity card to start the parikrama. Devotees who start parikrama from Shri Kshetra Omkareshwar, can contact "Matruraksha Seva Sanghatana", in front of Bhakt Niwas, Shri Nishad Raj Bhavan, Omkareshwar, by phone and WhatsApp contact number - 94248 40977, showing their identity card, get a free parikrama-identity card made.

 

10) सब सामग्री रखने के लिए क्या चाहिए?

उ) एक एयर बैग या झोला या मोटा थैला ! (सुनिश्चित करें कि आपके बैग का कुल वजन 10 - 12 किलोग्राम से अधिक नहीं हो।)

 

10) What is needed to keep all the materials?

A) An air bag or satchel or thick bag ! (make sure your total bag weight shall not be more than 10 - 12 k.g.)

 

11) क्या जूते - चप्पल पहन सकते है?

उ) एक जमाने में ऋषि मुनियोंने नर्मदा परिक्रमा के समय नंगे पॉव या खड़ाऊ पहन कर परिक्रमा करते थे। आज कल भी कुछ व्यक्ति मैया जी पर भक्ति से नंगे पॉव परिक्रमा करते है। परन्तु इस से शरीर को बहुत कष्ट मिलता है , पॉव में छाले पड़जाते है , कांटे-कांच के टुकड़े, बिजली के तार के संस्पर्श में आसकते है , जिससे बहुत हानी होती है। इसलिए उत्तम है अगर आप सक्षम है तो ट्रैकिंग-शू पहने या अन्य कोई जूते या चप्पल पहन कर भी परिक्रमा आराम से कर सकते है। इस से आपके शरीर को उतना दिक्कत नहीं होगा ओर आपका भाव भी भक्ति के तरफ ज्यादा, शारीरिक कष्ट के तरफ कम रहेगा ।

 

11) Can you wear shoes / Chappals?

A) Once upon a time during the Narmada parikrama, the sages, munis used to do Parikrama by bare foor or some wearing wooden sandals. Nowadays, some people do devotional Parikrama without wearing shoes or chappal. But due to this bare foot walking, the body suffers a lot, blisters in the foot, pieces of thorns and glass get into your feet and you may come in contact with the electric wires spread across the bank near villages, which causes a lot of loss. So it is best if you are able to do the Parikrama by wearing trekking shoes or any other shoes or slippers, you can do the Parikrama comfortably. Due to this, your body will not have much problem and your feeling will be more towards devotion and less for physical suffering.

          

12) मोबाइल लेकर परिक्रमा कर सकते हे क्या?

उ) परिक्रमा एक आध्यात्मिक यात्रा है । जितना आप सात्विक रहेंगे, मनको सात्विक रखेंगे उतना अच्छा है । लेकिन घर के लोगों के साथ सम्पर्क जरूर करना है, इस हालत मे आप एक सिर्फ बात-चित योग्य छोटा फ़ोन अपने पास रखलें तो बेहतर है।

        आज कल लोगोंको शौक होगया हे स्मार्ट फ़ोन लेकर चलानेका। परिक्रमा मे भी शांति नहीं बनती। फेसबुक, यूटुब, इंस्टा न जाने क्या-क्या चलाते रहते है । भाई अगर इतना ही करना है तो पिकनिक मानाने क्यों जारहे है। परिक्रमा और परिक्रमा वासिओंके नाम ख़राब करने? परिक्रमा का महत्व खत्म करने? युगों-युगों से चलते आरही यह परंपरा आजकल के पढ़े लिखे मूर्ख समझ नहीं पाते है । बस्स परिक्रमा तो उनके लिए एक पिकनिक स्पॉट बनगया है।

          परिक्रमा एक आध्यात्मिक यात्रा है, अपनी आत्मा को परमात्मा के साथ संजोग करनेका एक मौका। न जाने कितने कुकर्म अपने गृहस्त जीवन मे हम करते है , उन सबको दूर हटाके मन को दैव चिंतन मे लगाकर सुकून पाना ही इसका बड़ा महत्व है। कृपया इसका ध्यान रखें।

         अगर प्राकृतिक दृश्योंका चित्रण करना है, कुछ अद्भुत स्थान, मंदिर वगेरा या अन्य कोई चित्र लेना है तो कैमरा लेकर जाएं या स्मार्ट फ़ोन लेकर जाते है तो उसमे सिर्फ चित्र और वीडियो रिकॉर्ड करें, फिर उनको एक-एक फोल्डर बनाके एक 100 g.b. के पेन ड्राइव मे स्टोर करलें। इस से आपका मन भी भर जाएगा, और सोशल मीडिया से दूर रहकर भगवत चिंतन भी होता रहेगा। क्या आपके जीवन मे आध्यात्मिकता के लिए सिर्फ आप जितने दिन परिक्रमा करते है उतने दिन सोशल मीडिया से दूर रह नहीं सकते? आपकी परिक्रमा होने के बाद जो फोटोस, वीडियोस आपने बनाये हैं उनको फेसबुक, इंस्टा, व्हाट्सएप्प वगेरा मे अपलोड करें । उनका अच्छा वर्णन करें । अगर इतना भी आप नहीं कर सकते है तो बेहतर है परिक्रमा ही न करें। आपकी चिन्ताधारा से बाकि परिक्रमा वासिओंको भी लोग छोटी नजर से देखने लगें है। सब सोचते है ये परिक्रमा करने नहीं पिकनिक मनाने आते है। आप सब से विनती है , परिक्रमा का महत्व समझे।

  (अगर मुझसे पूछते है तो, हाँ, मेने एक छोटा मोबाईल (800 रूपए वाला ) सिर्फ अपने परिवार जनोंको बात करके अपना कुशल बतानेके लिए लेकर गया था। 4 महीने सोशल मीडिया वगैरे से दूर मन बहुत सुकून था)

 

12) Can we do Parikrama taking a mobile?

A) Parikrama is a spiritual journey. The more you stay sattvik, the more good it will be. But if you wish to make contact with your family, in this case, keep a small phone with you , it is better.

        Nowadays people have a hobby to with a smart phone. There is no peace even in Parikrama. Facebook, YouTube, Insta, I don't know what goes on. Brother, if this is to be done then why are you going for a picnic? To spoil the names of Parikrama and Parikrama vasis? To end the importance of Parikrama? The tradition of Parikrama which has been going on since ages, is not understood by the educated fools nowadays.  Parikrama has become a picnic spot for them.

        Parikrama is a spiritual journey, a chance to embellish your soul with the divine. Do not know how many misdeeds we do in our family life, it is of great importance to remove all of them and to make them feel relaxed by putting the mind in divine contemplation. Please keep this in mind.

        If you want to depict natural scenes, some amazing places, temple etc. or any other picture, then take a camera or take a smart phone, then just record pictures and videos in it, then make them one by one folder and store them in a 100 g.b. pen drive. This will fill your mind as well your spiritual journey will continue, and you will be away from social media. Can't you stay away from social media for the days you do Parikrama &  spirituality in your life? After your Parikrama, upload the photos, videos that you have stored in pendrive to Facebook, Insta, WhatsApp etc. Describe them well. If you cannot do this much then it is better not to do Parikrama. With your concern, people start to look at the other Parikrama vasis in a narrow mind. Everyone thinks that they come to have a picnic, not to do Parikrama. I request all of you, understand the importance of Parikrama (circumambulation).

        (If you ask me, yes, I took a small mobile phone (Rs 800) just to talk to my family members about welfare. 4 months away from social media, my mind was very relaxed.)

 

परिक्रमा करने के समय कुछ नियम:

Some rules while doing Parikrama:

13) परिक्रमा के पहले दिन संकल्प विधि क्या हे ?

Ans) परिक्रमा शुरू करने से पहले अगर पुजारी या पंडितजी उपलब्ध रहे तो उनसे संकल्प करवा लें. अगर आपकी दूसरी परिक्रमा हे तो आपको संकल्प विधि पहले परिक्रमा जैसे किये थे वैसे कर सकते हे . अगर आप पहली अन्य परिक्रमा कर रहे हैं और वहां पुजारी पंडितजी उपलब्ध नहीं हे, तो इस प्रकार  संकल्प पूजन करलें

          पहले नारियल , दो दीपक, प्रसाद के लिए हलवा या मिठाई , फूल, हल्दी , कुंकुम, चन्दन , मोली-धागा , सुपारी , जनोई , छोटा लोटा कलश , एक रपये का सिक्का , अगरबत्ती , माचिस , नर्मदा जी का चित्र , जल भरने के लिए छोटी सीसी, हाथ मे पकड़ने के लिए दंड , कमंडल , आरती करने के लिए सामग्री , संख (अगर हो तो), घंटी, मैया को चढ़ाने के लिए और पूजा मे व्यव्हार के लिए -दो छोटे चुनरी , नर्मदास्टक , नर्मदा आरती , सत्यनारायण कथा के पुस्तक या पेज इन सब चीजों का व्यवस्था करलें .

          फिर मुंडन , शौर कर्म , स्नान के बाद साफ़ सुत्रे सफ़ेद वस्त्र पहन कर नर्मदा जी के घाट पर साफ़ जगह मैया जी के तरफ या पूर्व दिशा की और आसन पर बैठे , फिर सामने नर्मदा जल से भरा हुआ कमंडल, काठी दंड, उसके सामने नर्मदा जी का चित्र, नर्मदा जल से भरा हुआ सीसी , नारियल रखें. चुनरी चढ़ाएं ,फूल प्रसाद हल्दी, चन्दन , कुंकुम का हर चीज पर टिका लगाएंछोटे कलश मे नर्मदा जल भरें. उसके सामने मोली-धागा रखें , छोटे लाल कपड़े मे चुनरी मे एक रूपए का सिक्का सुपारी सहित रखें. उसे भी चन्दन, हल्दी , कुंकुम का टिका लगाएं, जनोई रखें  . फिर एक दिया लगाकर श्री गणेश जी को स्मरण करें. अगरबत्ती , धुप , नैवेद्य दें . फिर कलश पर दायां हथेली रख कर नर्मदा जी और शिवजी को स्मरण करते हुए बाएं हाथ से मोली-धागा दाएं हाथ के कलाई पर बांधें. फिर माथे पर टिका लगाकर मैया जी के चित्र के पास हलवा प्रसाद या मिठाई रखें . फिर नर्मदास्टक , नर्मदा आरती का पाठ करें . अंत मे उठकर थोड़ा प्रसाद नारियल , फूल लेकर नर्मदा जी के प्रवाहित जल मे समर्पण करें फिर आसन पर बैठें . सत्यनारायण कथा का पाठ करें कोई पढ़ें तो श्रवण करें . फिर उठकर दोनों हाथ जोड़कर उसी जगह पर तीन बार घूमकर प्रदक्ष्णा करें , बेठ कर अपने गलतिओं को माफ़ कर निर्विघ्न रूप से नर्मदा परिक्रमा कराने का प्रार्थना करें . फिर सिक्का, सुपारी वाला कपडा या चुनरी को नर्मदा जल वाला सीसी पर बांध दे (जैसे सीसी का मुँह खुल पाए). उसमे थोड़ा प्रसाद भी डालें. फिर आसन से उठकर सब सामग्री समेट कर परिक्रमा की तयारी करें . प्रसाद को सभी मे बाँट दें . ब्राह्मण पंडितजी को दान दक्षिणा दें (अगर कोई हो तो). एक या एक से अधिक कन्याओं को कन्या पूजन करें , कुछ खिलाएं दान- दक्षिणा देकर फिर पीछे मुड़कर परिक्रमा शुरू करें

 

13) What is the Sankalp Puja on the first day of parikrama?

Ans) Before starting the parikrama, if the priest or panditji is available, then get the sankalp vidhi from them. If you are doing second circumambulation / Parikrama, then you can do the Sankalp method in the same way as you did during your first Parikarama. If you are doing the first or other circumambulation /Parikrama and there is no priest or panditji available, then do the Sankalp Puja in this way-

       First arrange coconut, two lamps, halwa or sweets for offerings, flowers, turmeric, kumkum, sandalwood, moli-thread, betel nut, janoi (Sacred thread), small lota or kalash, one rupee coin, incense sticks, matchstick, photo of Narmada ji, Small bootle to fill Narmda water,Stick for holding in hand, kamandal (tumbler), materials for performing aarti, sankh (if you have ), bell,  for offering to Maiya and for worshiping - two small chunari, book or page of Narmdastak, Narmada Aarti, Satyanarayan Katha , arrange all these things.

          Then after shaving, tonsuring head, taking bathing, wearing clean white clothes, sit on a clean place on the ghat of Narmada ji on the side of Maya ji or in the east direction, then in front of you keep a kamandal filled with Narmada water, stick (Dand), Photo of Narmada ji, bottle filled with Narmada water, coconut. Offer chunari, prasad, and put flowers, turmeric, sandalwood, kumkum on everything. Fill Narmada water in a small Kalash. Place a moli-thread in front of it, place a one rupee coin in a small red cloth with betel nut in the middle. Put sandalwood, turmeric, kumkum on it too, keep Janoi. Then remember Shri Ganesh ji by litting a lamp. offer incense sticks, naivedya. Then, keeping the right palm on the Kalash, remembering Narmada ji and Shivji, tie a moli-thread with the left hand on the wrist of the right hand. Then place halwa prasad or sweets near the picture of Maya ji by putting tika on the forehead. Then recite Narmadastak, Narmada Aarti. In the end, get up and take some prasad, coconut, flowers and offer to the flowing water of Narmada ji and then sit on the seat. Read Satyanarayan Katha or listen if someone reads it. Then, with folded hands, turn thrice at the same place, sit down and pray to forgive your mistakes and conduct Narmada Parikrama without any problems. Then tie the coin, betel nut cloth or chunari on the bottle containing Narmada water (as if the mouth of the bottle can be opened). Put some prasad in it too. Then get up from the seat and collect all the material and prepare for the circumambulation/ Parikrama. Distribute the prasad among all. Donate dakshina to Brahmin or Panditji (if any one is around). Worship one girl or more than one girl, feed them something, donate something to them and then start the circumambulation / Parikrama without looking back.

 

14) परिक्रमा मे क्या चीजें वर्जित है?

उ) धूम्रपान, मद्यपान, नशा, गांजा इत्यादि का सेवन, दुर्भाषा का प्रयोग, काम वांछा, क्रोध, लोभ आदी दुर्गुणोंका वर्जित करना चाहिए। सदैव दैव चिंतन मे रहने की कोशिश करें।

 

14) What are the things forbidden in the parikrama?

A) Smoking, drinking, intoxication, cannabis etc., use of slang language, sexual desire, anger, greed etc. should be forbidden. Always try to be in contemplation.

 

15) खाने-पिने, पूजा कार्य मे क्या वर्जित है?

उ) 1) प्याज, लशुन का सेवन न करें। अगर कोई अनजान व्यक्ति या कोई गरीब श्रद्धालु व्यक्ति भोजन प्रसादी मे प्याज या लशुन डालके अनजान मे देते है, तो आप माँ नर्मदाजीको समर्पित करके उसका सेवन कर सकते है। क्योंके वह व्यक्ति अपने शक्ति के अनुसार भक्ति-श्रद्धा से कुछ भोजन दिया है।

       2) नारियल फोड़ना मना है, क्योंके माँ नर्मदा जी को पूर्ण नारियल हम समर्पण करते है, इसलिए परिक्रमा वासी अपने हाथों से नारियल न तोड़े। नारियल का सेवन भी मना है। अनिवार्य है या अगर किसी ने नारियल के टुकड़े दिए तो उनको मना न करके बादमे कसीको देदेना है।

        3) सर पे तेल नहीं लगाना है, नाख़ून नहीं काटना है (चाहे तो पथ्थर पर घिसके समतुल कर सकते है), शेविंग नहीं करनी है, शैम्पू या साबुन का इस्तेमाल नहीं करनी है । सबसे मुख्य नर्मदा जी मे नहाते समय घुटने तक पानी से ज्यादा नीची नहीं जाना है, उतने पानी के अंदर ही नहाना है। आईने मे चेहरा नहीं देखना है । बालोंको कंघी नहीं करना है, सिर्फ हाथ फेरलेना है ।

 

15) What is prohibited in eating, drinking and in worship?

A) 1) Do not consume onion, garlic. If an unknown person or a poor faithful person offers you food by unknowingly by pouring onion or garlic in Prasad (food), then you can dedicate it to Maa Narmadaji and eat it. Because that person according to his ability has given some food with devotion .

       2) Coconut is forbidden to break, because we offer full coconut with shell to Mother Narmada, so the parikrama vasis do not break coconut with their own hands. Consumption of coconut is also prohibited. If it is compulsory or if someone has given pieces of coconut, then do not refuse them and then give it to someone else.

       3) Do not apply oil on the head, do not cut the nails (you can rub it on the stone to shorten your nails), do not shave, do not use shampoo or soap. Use turmeric to apply on the body, and you will find neem leaves everywhere, dry them and mix them with turmeric and apply on the body.You can use reetha soap nuts or shikakai to wash your hair naturally. Before going to the parikrama, you can buy them from the market and use them once a week to wash your hair. But soap or shampoo cannot be used in parikrama. While bathing in  Narmada ji, do not go too low in water. go into the water till the knee, take a bath inside the same water. Do not look at the face in the mirror. Hair is not to be combed, just mend it with your hands.

 

16) अगर कोई चाय, नास्ता या भोजन का प्रस्ताव करें तो क्या करें?

उ) अगर परिक्रमा के दौरान कोई व्यक्ति आपको चाय , नास्ता या भोजन का प्रस्ताव करें, ओर उस वक्त आपका पेट भरा है या कुछ लेने का मन नहीं है तो आप उस व्यक्ति से नम्र रूप से बोलदीजीए के आप अभी प्रसाद पाएं है , या आप उनके पास जाकर एक ग्लास पानी पीकर विदा लें। अगर उस समय यह चीजोंको ठुकराएंगे तो उस पुरे दिन मे आपको खाने पीने की दिक्क्त रहेगी। यह मेरा स्वीय अनुभव भी है।

 

16) What to do if someone offers tea, tiffin or food?

A) If someone offers you tea, tiffin or food during the parikrama, and at that time you are full or do not feel like taking anything, then you humbly say that person that you have just received prasad, or you go to them and drink a glass of water and say goodbye. If you refuse these things at that time, then you will have trouble for eating and drinking on that whole day. This is also my self experience.

 

17) अगर परिक्रमा के दौरान रस्ते मे कोई पैसे दे तो क्या करें?

उ) अगर आपको परिक्रमा के दौरान रस्ते मे कोई व्यक्ति दान या दक्षिणा के रूप मे या चाय , नास्ता करने के लिए कुछ पैसे दे, तो आप उसे मना न करें । अगर उस दिन पैसे ज्यादा लोग दे रहे है तो समझिए की उसदिन आपको कहीं भोजन प्रसाद नहीं मिलेगी ओर माँ नर्मदा जी ने आपको खुदसे खानेका इंतजाम करनेके लिए पैसे दे रहें है। अगर सब ठीक हुआ तो उन पेसो से टॉफी / चॉकलेट खरीदकर रस्ते मे मिलने वाले बच्चों मे बाँट दीजिए।

 

17) What to do if someone gives money on the way during the parikrama?

A) If someone gives you some money in the form of donation or Dakshina or to have tea, breakfast, during the parikrama, you should not refuse it. If more people are giving money on that day, then understand that you will not get food offerings on that day and Mother Narmada ji is giving you money to arrange food for yourself. If all goes well, then buy toffee / chocolate with that  money and distribute it to the children you meet on the way.

 

18) अगर परिक्रमा के दौरान कोई पॉव छुएं तो क्या करें?

उ) अगर परिक्रमा के दौरान हमारे पॉव कोई छुएं तो हमें झुककर जमीन को छूंकर हाथ जोड़लेना चाहिए। क्योके परिक्रमा के दौरान हमें किसीकी पॉव नहीं छूना है। सिर्फ देव-देवियोंके चरणस्पर्श ही करना है। अगर कोई बड़े बुजर्ग या साधु संथ हो तो उनके पॉव छूं सकते है।

 

18) What to do if some one touch our feet during the Parikrama?

A) If our feet is touched during the Parikrama, then we should bow down, touch the land/ floor and fold our hands with respect. Because we do not have to touch anyone's feet during the Parikrama. We can only touch the feet of the Gods and Goddesses. If there are some elders or saints, then their feet can be touched.

 

19) अगर दिन के ढलते समय कोई हमें रुकने के लिए बोले तो क्या करें?

उ) अगर दिन के ढलते समय कोई व्यक्ति परिक्रमा वासिओंको रुकने के लिए बोले, अगर वहां सब सुविधाएँ हो, तो मना न करें। वहां रुक जाएं । अगर आपका मुकाम अलग है ओर आगे आपकी व्यवस्था हो, तभी आगे बढ़ें । वरना बिना सोचे आगे बढ़ेंगे तो आपको आप जाने वाले जगह पर रुकने या खाने पिने की दुविधा होगी। यह मेरा स्वीय अनुभव भी है।

 

19) What to do if someone calls us to stop at the end of the day?

A) If during the end of the day, any person stops the parikramavasi, if there are all facilities, then do not refuse stop there. If your stoppage place is different and your arrangement are there, then only move forward. Otherwise, if you go ahead without thinking, then you will have the troubles for staying, eating or drinking at the place where you go. This is also my personal experience.

 

20) कोई खेत या बगीचे मे खाने लायक चीज हो ओर खानेका मन करे तो क्या करें?

उ) अगर परिक्रमा मार्ग मे आप कोई खेत या बगीचे से गुजर रहें है ओर वहां खाने लायक चीज हो ओर आपको खानेका मन करे तो आप वहां किसान के अनुमति लेकर ही कुछ तोड़े। अगर किसान या वहां के मालिक आपके मांगे बिना खुद से आपको कुछ चीज दें तो आप ले सकते है।

 

20) If there is something to eat in a field or garden, and if you want to eat, what to do?

A) If you are passing through a field or garden on the Parikrama route and there is something to eat and if you feel like eating, then you break something only with the permission of the farmer / care taker there. If the farmer or the owner of the house gives you something from himself without asking for it, then you can take it.

 

21) जहाँ रहेंगे उन परिसरों मे कैसे रहें?

उ) 1) सबसे मुख्या बात होती है आप परिक्रमा मे एक सन्यासी रूप होते है। भले ही आप कितना कुछ सोचे लेकिन जो व्यक्ति, मंदिर, आश्रम या कुटी मे आप आश्रय लेते है, आप उस दिन वहां के मेहमान होते है। कृपया वहां के परिस्थितिओंके अनुसार अपना स्वाभाव रखें । वहां के नियमोंके अनुसार चलें। घरमे आपको भले ही दूध से भरा चाय मिले, पांच पकवान, रोटी, चावल मिले, लेकिन परिक्रमा मे जिस जगह पर जो मिले उसे बिना रोक ठोक किए प्रसाद रूप से पा लेना है। आपको सेवा देने वाले व्यक्ति की आर्थिक तथा उस समय की परिस्थिति को भी आपको देखना होगा, के वह बेचारा कहाँ से लाएगा? कितनोंको खिलाएगा? क्या-क्या देगा सबको?

2)समय पर यानि करीब 8 बजे से 9 बजे रात्रि के अंदर सोजाएं। दूसरोंको भी सोने दें। सब परिक्रमा वासी थके-हारे रहते है, तो कृपया आपको नींद न आए तो जप करलें, कोई ग्रन्थ पढ़ लें, लेकिन बड़े आवाज मे बातें, पढ़ना या चिल्लाना न करें। अगर वहां के नियम से लाइट बंद करनी हो तो अपने पास रखे हुए टार्च से आपका काम धाम करें।

3)सुबह जल्दी उठने का प्रयास करें। कम से कम सुबह 5 से 6 के बीच उठकर, अपना बिस्तर उठालें, उस जगह को झाड़ू मारें, फिर उस जगह से नित्य कर्म करने के लिए जाएं । क्योंके उस स्थान मे हमारा कोई नौकर साफ़ सफाई करने नहीं आएगा ।

4) नित्य कर्म के समय आप रहने वाले परिसरों को गंदा न करें। मल-मूत्र यहाँ-वहां न त्यागें। इधर-उधर न थूंके। अगर वहां टायलेट है, तो उसको साफ़ रखें। वरना वहां के परिसर मे रहने वालों को तथा आतिथ्य देने वालों को परिक्रमा वासिओंके ऊपर प्रतिकूल भावना आता है ।

 

21) How to live in those campuses where you live?

A) 1) The most important thing is that you are in a monk form in Parikrama (circumambulation). No matter how much you think, but the person, temple, ashram or hut you take shelter in, you are a guest there for that day. Please make your nature according to the circumstances there. Follow the rules there. At home you may get tea full of milk, five dishes, roti, rice, but the place where you get  shelter during the Parikrama, you must accept the things given to you without refusing them. You will also have to look at the financial condition of the person who served you and the situation at that time, from where will that poor person bring it? How many people he can feed? What will he provide to everyone?

2) Sleep on time i.e. around 8pm to 9 pm. Let others sleep too. All the Parikrama vasis are tired by the time, so if you don't feel sleepy then please read some scripture, but do not talk, read or shout in a loud voice. If the light is to be turned off by the rule there, then do your work with the help of torch kept with you.

3) Try to get up early in the morning. Get up at least between 5 and 6 A.M. in the morning, raise your bed, sweep the place, then go from that place to do daily work. Because none of our servants will come to that place to clean up.

4) Do not pollute the premises you live in at the time of your daily deeds. Do not defecate and urinate here and there. Do not spit around here and there. If there is a toilet, keep it clean. Otherwise, people living in the premises and those giving hospitality have an adverse feeling on parikrama vasis.

 

22) क्या परिक्रमा के दौरान मंदिर की प्रदक्षिणा करना है?

उ) नर्मदा परिक्रमा के दौरान हमें हर एक तीर्थ स्थल पर जाना है ! उस क्षेत्र मे जलाभिषेक, नर्मदा मे स्नान करना, तिल, चावल, जल का तर्पण करना है और एक माला का जाप करना है। विशेष रूप से अपने गुरु द्वारा दिए गए मंत्र का जाप करें या यदि कोई विशेष मंत्र नहीं है तो केवल ॐ नमः शिवाय या ॐ नमो नारायणाय या गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। इसका उल्लेख नर्मदा पुराण मे विशेष रूप से उल्लेख है। हर तीर्थ स्थल का अपना-अपना महत्व होता है ! नर्मदा नदी के तट पर जहां एक शिव लिंग है, भले ही वहां कोई मंदिर नहीं है, लेकिन यह स्थान तीर्थ स्थल का प्रतीक है। नर्मदा जी के साथ-साथ अन्य नदी के संगम का भी विशेष महत्व है।

         परिक्रमा के दौरान हमें कोई भी मंदिर की प्रदक्षिणा नहीं करनी है। क्योंके हम परिक्रमा मे है, ओर जब तक अपनी परिक्रमा संपूर्ण नहीं होती है तब तक हमें मंदिर के चारोंओर परिक्रमा या प्रदक्षिणा नहीं करनी है। हमें दोनों हाथों को जोड़कर अपने सर के ऊपर हाथोंको घुमालेना है।

 

22) Whether to circumambulate the temples during the parikrama?

A) During Narmada Parikrama we have to visit each pilgrimage site, to do water abhishek, to bath and offer tarpan of sesame, rice, water in Narmada ji and chanting a rosary in that area. Specially chant the mantra given by your Guru or if there is no special mantra then only Om Namah Shivay or Om Namo Narayanaya or Gayatri Mantra should be chanted. This is specifically mentioned in the Narmada Purana. Every pilgrimage site has its own significance. If there is a Shiv Linga on the banks of Narmada river, even though there is no temple there, that place is a symbol of pilgrimage. If there is confluence of other river along with Narmada ji, that confluence also has special significance.

We do not have to perform any circumambulation around any temple during the parikrama. Because we are in Parikrama of Narmada ji (circumambulation), and we do not have to do circumambulation around any temple until our Parikrama is complete. We have to fold both hands and spin our hands over our head.

 

23) परिक्रमा के दौरान किस प्रकार के व्यक्ति मिलते है?

उ) प्रकिरमा के दौरान एक से बढ़के एक अजीबो गरीब व्यक्तिओं से आपकी मुलाकात होती है। कुछ व्यक्ति स्वयं घोसित भगवान मिलते है, कुछ ठग होते है, कुछ गांजडे - नसेड़ी , कुछ बोलबचन वाले , कुछ स्वार्थी, कुछ छल प्रवृति , कुछ संथ, कुछ साधु, कुछ अच्छे सेवक, कुछ भावुक- ऐसे नाना प्रकार के व्यक्ति मिलते है। आपको किसीसे कोई मतलब नहीं रखना है। बस्स चलते जाना है। आपका मकसद सिर्फ "मोह माया छोड़ो , नर्मदा जी से जुडो " ही होना चाहिए। कोई किसी प्रकार के बातें बोलें या कितना भी प्रलोभन दिखाएं, आप अपने आपको संभालते हुए, जुबान सँभालते हुए ही बात करें तो आपके लिए अच्छा होगा।

 

23) What type of people do we meet during the parikrama?

A) During Prakarma, you meet with strange people from one to the other. Some people are self declared Gods, some are thugs, some are murderers, some are drug addicts, alcoholics, some are speech lovers, some are selfish, some are deceitful, some are saints, some are monks, some are good servants, some are sentimental. You don't mean anything to anyone. Go on moving. Your motive should only be "Quit worldly pleasures, join Narmada ji". People may say any kind of thing or show any temptation, it will be good for you if you talk very less about it while handling yourself and holding your tongue.

 

24) दिनमे कितना दूर चलना है?

उ) नर्मदा मैया जी का प्रवाह की दुरी हे 1700 से 1800 किलोमीटर। इस प्रकार परिक्रमा वासी को दोनों तटोंको मिलाकर कुल 3500 से 3600 किलोमीटर चलना होगा । आप अगर दिन मे 15 किलोमीटर चलसकते हैं तो कुल 235 दिन मे आपकी परिक्रमा पूरी होगी। अगर दिन मे 20 किलोमीटर चलसकते हैं तो कुल 175 से 180 दिनों के अंदर परिक्रमा पूरी होगी। अगर दिन मे 30 किलोमीटर चलसकते हैं तो कुल 116 से 120 दिनों के अंदर परिक्रमा पूरी होगी। और अगर आप दिन मे 40 किलोमीटर चलसकते हैं तो कुल 85 से 90 दिन के अंदर आपकी परिक्रमा पूरी होगी। (चातुर्मास, एक साल या तीन साल तीन महीने तेरह दिन वाले परिक्रमा छोड़ कर)

        सबसे मुख्य है आपको परिक्रमा मे दुर्लभ और अद्भुत तीर्थ स्थलोंका दर्शन करते हुए जाना है। जितना हो सके भागा-दौड़ी , दूसरोंके साथ रेस लगाते हुए जाना छोड़ दीजिए। पूरी दृष्टि अपने सुविधा और अनुकूल जैसा माहौल हो वैसे मे रहते हुए आपको जैसे अनुभव मिलते है उनके हिसाब से परिक्रमा करें। मैया जी के किनारे बहुत सुन्दर धाम है, रमणीय स्थान है, सुंदर प्रकृति का नजारा है। आप इनसब चीजोंका आनंद और आस्वासन लेते हुए परिक्रमा करेंगे तो दिन कितने जल्दी बीत जाएगें आपको पता नहीं चलेगा। पर आप ध्यान रखें आप हर एक तीर्थ स्थल के दर्शन करते हुए जाएं! वर्ना आप केवल रोड नाप कर आएंगे !

 

24) How far to walk in a day?

A) The flow of Narmada Maiya ji is 1700 to 1800 km. In this way, the parikrama vasis will have to walk a total of 3500 to 3600 km on both the coasts. If you can walk 15 kilometres in a day, then your Parikrikarama will be completed in 235 days. If you can walk 20 kilometres in a day, then the Parikrama will be completed within a total of 175 to 180 days. If you can walk 30 kilometres in a day, then the total Parikrama will be completed within 116 to 120 days. And if you can walk 40 kilometres in a day, then your Parikrama will be complete within 85 to 90 days. (leaving the Chaturmas, one year or three years, three months,  thirteen-day parikrama)

        The main thing is that you have to visit the rare and amazing pilgrimage sites in the parikrama. As much as you can quit Running and going on racing with others. Do Parikrama with whole sight according to the kind of experience you get , while living in your convenience and favorable environment. On the banks of Maiya ji is very beautiful Pilgrim places , a delightful places, a view of natural beauty are there. If you do Parikrama enjoying all these things and then you will not know how soon the days will pass. But keep in mind that you have visited all pilgrimage places. Otherwise you will simply run away and measure the road only.

 

25) परिक्रमा मे प्रसाद और चॉकलेट या टॉफी का बांटना क्या है ?

उ) परिक्रमा मे सिर्फ नर्मदे हर नाम से हम सब एक परिवार जैसे होजाते है। इस वजह से आप जहाँ भी बैठकर पूजा करें, अगर आपकी पूजा ख़त्म होजाए तो आपके आस पास जो भी व्यक्ति, बच्चें हो तो उनसबको आपके पास रहने वाले शक़्कर के दाने (चिरोंजी) या मूंगफली के दाने या आदी प्रसाद भले एक-एक दाना भी हो, सबको देकर मिलबाँट के खाएं।

       परिक्रमा के दौरान हम छोटे गांव, बस्ती, आदिवासी क्षेत्र से गुजरते है। वहां तो बच्चोंको सही ढंग के आहार और रहन- सहन की व्यवस्था नहीं होती है। तो वे परिक्रमा वासिओंके तरफ देखते रहते है, या दौड़ के पास आते है। तब आप आपके पास ख़रीदे हुए कुछ चॉकलेट या टॉफ़ी उन बच्चों के हाथोंमे देंगे तो वे खुश होजाएंगे। छोटी बालिकाएं दिखे तो जरूर उनके चरण स्पर्श करते हुए चॉकलेट या टॉफ़ी देते जाना। नजाने किस रूप मे माँ नर्मदा आपको दर्शन दें या परीक्षा ले।

 

25) What is the distribution of Prasad and chocolate or toffee during parikrama?

A) In parikrama, we all live like a family with the name of "Narmade Har". Because of this, wherever you sit and worship, if your worship/ Puja is over, then if there are people, children around you, then you may distribute them the sugar candy (chironji) or peanut as prasad to each one of them around you and eat the prasad collectively.

       During the parikrama, we pass through small villages, bastis, tribal areas. There, the children do not have proper diet and living arrangements. So they keep looking at the parikrama vasis or come near them. As now many people walk around the year round, because of giving chocolates to all the children, many children have become ill on the banks of Narmada. Some children do not go to school and stop for chocolate. Due to this the local people are getting upset these days. Please do not give chocolate, money to the children from now onwards. If there are any nutritious things like peanuts, gram etc., then give them otherwise no. Today's children are tomorrow's future, it is our responsibility to give them good lesson for life, but not to spoil them.  we don't know in which form Maa Narmada should give you darshan or takes the test.

 

26) परिक्रमा के दौरान दक्षिण तट मे शूलपाणी झाड़ी से जाएँ या शहादा, प्रकाशा होते हुए सड़क मार्ग से जाएँ? और उत्तर तट मे मंडला के जंगल मार्ग से जाएं या निवास, शाहपुरा होते हुए सड़क मार्ग से जाएँ?

उ) 1) परिक्रमा के दौरान अत्यंत दुर्लभ, सौंदर्य से भरा ओर कठिन मार्ग है तो वो दक्षिण तट की शूलपाणी झाड़ी ओर उत्तर तट की मंडला जंगल मार्ग है।

       बहुत से परिक्रमा वासी जब दक्षिण तट के बड़वानी या राजघाट पहुंचते है, तो उन्हें बहुत लोग जिनमे एक से अधिक बार परिक्रमा किए हुए अनुभवी परिक्रमा वासी भी कहते हैं की "यहाँ से सड़क मार्ग से चलना है। झाड़ी का रास्ता सरदार सरोवर बाँध के बैकवाटर के कारण बंद होगया है। ओर उस क्षेत्र मे लुटेरे रहते है, वे सब कुछ लूट लेते हैं"।

       मेरी मानिए यह सब कुछ अफवा है। एक जमाना था, तक्रीबन 20 साल पहले जब यह जंगल मे भील आदिवासी निवास करते थे। उस समय उनका हालत बहुत खराब था। न खानेको अच्छा खाना न पहनने को ढंग का कपड़ा था। वैसी अवस्था मे वे उस रस्ते से गुजरने वाले हर परिक्रमा वासिको लूट कर खाना, कपड़े ,सामग्री इत्यादी लेजाते थे। और उनको पूर्ण रूप से नग्न करके छोड़ देते थे। परिक्रमा वासी झाड़ी मे मिले पत्तोंसे, पेड़ के छालें या चावल या सिमेंट के बोरियोंसे अपना तन ओढ़कर महाराष्ट्र-गुजरात के तरफ जैसे पहुंचते थे, वहाँ साधू-संथ तथा सहृदय व्यक्ती इन बिन कपडोंके परिक्रमा वासिओंको धोती, कपड़े वगैरा देकर उनको आगे की ओर रास्ता बताते थे।

       परंतू अब वैसा नहीँ है। परम् पूज्य श्री लखनगिरी महराज जी ने इन भिलोंको सुधारनेके लिए शूलपाणी झाड़ी के अंदर घोंगसा नामक स्थान मे एक कुटी बनाकर नर्मदा जी के पास तपस्या करने लगें। साथ ही इन सरल आदिवासिओंको खाने पीने की चीजें देना, बीज वगेरा देकर गेहूं, अनाज, चने, आदी धान्य उगाना, उनसे उनका गुजारा करना सिखाए हैं। बाद मे बहुत सहृदय व्यक्ती भी लखनगिरी बाबा को सहायता करने लगें। ओर कुछ सालोंसे इस क्षेत्र में प्रशासन के तरफ से रोड, मकान इत्यादी बनना; आदिवासी बच्चों के पढ़ाई के लिए नजदीकी शहरों मे व्यवस्था करना; युवकोंके लिए ट्रैक्टर इत्यादी सहायता करके उनमें खेती करनेका होंसला बढ़ाना इत्यादी अनेक कार्य कर रही है। अब उधरसे कोई भी परिक्रमा वासी गुजरता है, तो वो आदिवासी लोग ही उनके अच्छी देखभाल करते है। थके हुए परिक्रमा वासिओंको खाना, पानी देते हैं। उनके घरोंमें आश्रय देते है। कोई दिक्कत नहीँ आने देते है।

     लखनिगिरी बाबाजी ब्रम्हलीन होनेके बाद उनके शिष्य श्री नर्मदगिरी महराज जी घोंगसा के लखनगिरी बाबा आश्रम की देखभाल कर रहे है। और साथ ही आदिवासिओंको राह दिखा रहे है। हमारे परिक्रमा के दौरान हमने भी शूलपाणी झाड़ी से ही परिक्रमा किए है। बहुत सुंदर-सुंदर स्थान है, प्रकृति का नजारा ओर साथ ही हम जो खुशी गाँव य शहर मे पा नहीँ सक्ते वो इस जंगल झाड़ी मे पा सकते है। आपको कुछ आश्रम, साधुकुटी, सेवकोंके घर भी इन झाड़ियों मे मिल जाएगी। पैदल परिक्रमा वासिओंको इसी रास्ते से जाकर परिक्रमा करनी चाहिए।

      पुराण के अनुसार पुराने शूलपाणी मंदिर मे जो शिव लिंग है वो पाताल लोक तक विस्तार है। ओर जहां शिव जी का साक्षात्कार के वहीँ माँ नर्मदा जी प्रसन्न होते है। शूलपाणी झाड़ी मैया जी के अत्यंत प्रीतिपात्र जगह है। अमरकंटक से निकलने के कारण वह जगह (अमरकंटक) माँ नर्मदा जी का मस्तक कहा जाता है, मंडला (माँ रेवा जी का मन डला हुआ है, ओर यह दिल के आकार मे घुमाउदार ही आपको चित्र मे दिखेगा, इसलिए मंडला कहाजाता है) माँ का हृदय है, नेमावर को नाभी क्षेत्र , शूलपाणी झाड़ी माँ रेव का घुटना ओर टांगे ओर रेवा-सागर संगम माँ के चरणों के रूप का प्रतीक है। शूलपाणी झाड़ी की लंबाई लगभग 200 किलोमीटर है, और आप 7 से 10 दिनोंके अंदर आराम से पार कर सकतें है. 

          2) उसी प्रकार मंडला के मार्ग मे जानेके समय भी परिक्रमा वासिओंको बोला जाता है इधर मत जाओ। बहुत घुमाऊदार ओर जंगल मार्ग है। मैये जी बहुत मोढ़ लेकर चलीं है। खाने को कुछ नहीँ मिलता है। सबसे मुख्य शाहपुरा के तरफ सड़क मार्ग से जानेसे आप 5 दिन कम समय मे अमरकंटक पहुँच जाओगे, ओर मंडला से जाएंगे तो 5 दिन अधिक समय मे अमरकंटक पहुंचेंगे; इत्यादी-इत्यादी बोलकर परिक्रमा वासिओंको निर्वीर्य कर देते है।

        मेरी मानो तो पैदल परिक्रमा वासिओंको जबलपुर के बाद बरेलासे सीधे मंडला मार्ग से ही जाना उत्तम है। बरेला से मंडला सहर तक आपको सड़क मार्ग है (बर्गी डेम के बैकवाटर के कारण)। वो भी घने जंगल के बीच से जाती है। सुनसानी जंगल मे लंबे-लंबे बड़े पेड़ोंके बिच मे, पहाड़ोंके ऊपर-नीचे होते हुए हाइवे बहुत सुंदर दीखता है फिर 2-4 जगहों पर माँ नर्मदा जी का स्नान ,दर्शन मिल जाता है। मंडला सहर के बाद आपको 10-15 किलो मीटर के बाद से डिंडोरी तक सिर्फ जंगल मे माँ नर्मदा जी के सुंदर किनारे से जाना पड़ता है। वहीं असली मजा भी है। माँ के रमणीय प्राकृतिक नजारें, मैया जी के मोढ़, सुद्ध- साफ- चंदन- तुलसी जैसे सुभासित जल इनका आंनद सिर्फ नसीब वलोंको ही मिलता है।

        यह मेरा स्वीयानुभव भी है। मैंने परिक्रमा के दौरान इन दुर्लभ क्षेत्रों से ही गुजरा था। और कोई दिक्कत नहीँ हुई है, न अब भी उन क्षेत्रों से जाने वलोंको हो रहा है। निर्णय आप पर है, कोनसे मार्ग से जाएंगे।

26) During Parikrama, Shall we go through the shulpani Jungle or go by road via Shahada, Prakasha in the Dakshin tat (south coast) ? And shall we go through the forest route of Mandla on the Uttar tat (north coast) or by road via Niwas, Shahpura?

A) 1) If there is an extremely rare, full of beauty and difficult path is there, then it is the shulapani Jungle route in the Dakshin tat (south coast) and the Mandla jungle route on the Uttar tat (north coast).

       When many parikrama vasis reach Barwani or Rajghat on the Dakshin tat (south coast), many people including those who have done Parikrama more than once, say that "There is only road way to walk from here. The way of the shulpani jungle is locked up with the backwater of Sardar Sarovar Dam and robbers live in that area, they loot everything. "

        Believe me this is all rumor. There was a time, about 20 years ago, when the Bhil tribals lived in the forest. Their condition was very bad at that time. There was no cloth to wear nor good food to eat. In such a situation, they used to loot every parikrama vasis passed through that jungle route and looted food, clothes, other material etc.  from the Parikrama vasis and leave them completely naked. Parikrama vasis used to reach towards Maharashtra-Gujarat by covering their bodies with the leaves found in the jungle, tree bark or rice or cement sacks. There the saints and gentlemen would give these naked Parikrama vasis clothes , etc. and were telling them the way forward. 

        But now the situation is not like that. Param Pujya Shree Lakhanagiri Maharaj ji started a penance near Narmada ji by making a hut in a place called Ghongsa inside the shulpani Jungle to develop these Bhills. Along with this, these simple tribes have been given food and drinks, given seeds to grow wheat, grains, gram, etc., and to sustain with them. Later, a lot of gentle people also started helping Lakhanagiri Baba. And since some years, construction of roads, houses etc. ,arrangements for the education of tribal children in nearby cities; distribution of tractors to the youth to increase their hopes of farming, etc. is being done on behalf of the administration in this area. Now those tribal people are taking care of the Parikrama vasis passing through this area. They serve good food and water to the Parikrama vasis and provides shelter in their homes. They do not let any problem come to the Parikrama vasis.

       After the death of Lakhanigiri Babaji , his disciple Shri Narmadgiri Maharaj is taking care of Lakhanagiri Baba Ashram of Ghongsa. And also showing the way of livelihood to the tribals. During our Parikrama, we have also been through the shulapani Jungle. It is a very beautiful place, with the view of nature and the happiness that we cannot find in the village or city, we can find it in this forest here. You will also find some ashrams, sadhukuti, devotee's houses in these Jungle. Parikrama vais who doing Parikrama by walk should go through this route.

        According to the Puranas, the Shiva linga in the old shulpani temple is an extension to the Patala (Hades). Wherever Lord Shiv ji present , Maa Narmada ji is also pleased in that place. The shulpani Jungle is a very beautiful place of Maiya ji. Due to starting from Amarkantak, that place (Amarkantak) is called Maa Narmada ji's head, Mandla (Mother Reva ji's heart is attracted here, and you will see it in the shape of a heart, which is why Mandla is called) is called Heart; Nemavar symbolizes the appearance of the Naval area,  shulpani Jungle resembles the knee of mother Reva and the legs and the feet of the mother are Reva-Sagar Sangam. The length of the shulpani Jungle is about 200 kilometres, and you can cross it comfortably within 7 to 10 days by walk.

      2) Similarly, when going in the route of Mandla, the parikrama vasis are told by the residents, not to go by this route. They say this route is full of turnings and jungle route . Mayaji has gone with a lot of turns. You can't get any thing to eat. You will reach Amarkantak in 5 days lesser time by road through Shahpura, and if you go through Mandla, then you will reach Amarkantak in 5 days more; By speaking all these to the parikrama vasis the residents make them uninteresting to go through the jungle route.

       Believe me, it is better for the Parikrama vasis on foot to go directly from Mandla via "Barela" after Jabalpur. You have a roadway from Barela to Mandla Town (due to the backwaters of Bargi Dame). That too goes through the dense forest.  Between the tall  trees in the silent forest, the highway going up and down through the the mountains looks very beautiful, then in 2-4 places one can see Maa Narmada ji and can have bath there. After 10-15 km from Mandla Town you have to go till Dindori only in the forest from the beautiful banks of Maa Narmada. There is also real fun there. The delightful natural sight of the mother nature, Maiya ji's turns, clean and clear, sandalwood, Tulsi fragrant water can only be enjoyed by the lucky ones.

        This is also my personal experience. I passed through these rare areas during my parikrama. And there is neither any problem, nor are people still going from those routes. The decision is on you, in which way you want to go.

 

27) नाव से सागर पारी कब तक कर सकते है?

उ) आपको नाव से समुद्र पार करके मिठीतलाई पहुँचने के लिए दक्षिण तट के गुजरात के विमलेश्वर गांव , मे जाना है। साधारण रूप से अप्रिल महीने के बाद अरब सागर मे तूफान आना शुरू होजाता है। इसी वजह से अप्रैल महीने के बाद नाव पार नहीं करवाते है। तो आप अपनी परिक्रमा नाव पार करने तक, अप्रेल के महीने तक नाव पार करना है सोचकर ही यात्रा करें ।

 

27) By when we can cross the see on the boat?

A)To cross the sea by boat and to reach Mithitalai , you need to reach Vimleshwar village of Gujarat on Dakshin tat (south coast). Ordinarily, after the month of April, storm starts in the Arabian Sea. That is why they do not cross the sea by boat after the month of April. So, you do Parikrama keeping in mind that you can cross the sea by boat  till the month of April.

 

28) नाव पार करते समय नियम क्या है?

उ) नाव पार करने के लिए आप जब विमलेश्वर मे नाव यात्रा करनेका रजिस्ट्रेशन करलेंगे (पैदल यात्री के लिए 150 से 200 रुपए ) , वे अफसर आपको नाव कब और कितने बजे निकलेगा बता देंगे। जिस समय नाव चढनेके लिए आप निकलेंगे तब उस गांव के छोटी कन्याएं सर पर जल से भरा कलश पकड़ कर सभी परिक्रमा वासिओंको आशीर्वाद देते दिखेंगे। आपको उनके कलश मे कुछ पैसे डालकर उनके पाऊँ छू कर (माँ नर्मदा जी समझ कर) आगे बढ़ना है। नाव के अंदर आपको जूते, चप्पल पहनना वर्जित है , तो आप कृपया अपने जूते, चप्पल को पहले से ही थैले मे कहीं रखलें। नाव मे किसी प्रकार की विकृत चेष्टा न करें। सिर्फ मैया जी का ध्यान करें , अविघ्न रूप से सागर पार होजाएगा।

 

28) What are the rules while crossing the sea on boat?

A) When you register to sail the boat at Vimleshwar (150 to 200 rupees for a pedestrian), those officers will tell you when and at what time the boat will leave. When you go out to board the boat, then the small girls of that village will be seen holding a pot full of water on their heads and blessing all the Parikrama vasis. You have to put some money in their Pot and touch them on their feet (assuming mother Narmada ji) to move forward. You are forbidden to wear shoes and slippers inside the boat, so please keep your shoes, slippers somewhere in the bag beforehand. Do not make any distorted attempt at the boat. Just pay attention to Maiya ji, you will cross the ocean without any trouble.

 

29) परिक्रमा के दौरान नर्मदा जल कहाँ-कहाँ पर चढ़ाना पड़ता है?

उ) 1) आप परिक्रमा का संकल्प लेते समय जो सीसी मे नर्मदा जल भरकर प्रतिदिन पूजा करते रहते है, उस जल को आप को सागर मे थोड़ा डालना पड़ता है (नर्मदा-सागर संगम पार करते समय बोट वाला आपको बताएगा) और उसमे फिरसे नर्मदा-सागर संगम जल भर लेना है।

2) अमरकंटक मे माई की बगिआ जानेके बाद, वहां नर्मदा कुंड / नर्मदा उद्गम स्थल मे आपको फिरसे आपके सीसी के अंदर का नर्मदा जल वहां कुंड मे थोड़ा डालना पड़ता है ( पुजारी जी आपको बताएंगे)।

3) परिक्र्मा आप जहाँ पहले उठाए थे या प्रारम्भ किए थे, उस स्थल मे परिक्रमा सम्पूर्ण होते ही कढ़ाई चढ़ा कर हलवा प्रसाद बना कर उसके साथ आपके सीसी के अंदर का नर्मदा जल भी थोड़ा डालने के बाद आपकी परिक्रमा सम्पूर्ण होती है। लेकिन आप नर्मदा जी को तभी पार कर सकते है, जब आप ओंकारेश्वर मे जाकर जल न चढ़ाएं।

          ओंकारेश्वर मे नर्मदा जी के आरती पूजा करनेके बाद आपको नर्मदा जी मे थोड़ा जल चढ़ाना है। फिर आपको नर्मदा जी को पार करके ओंकारेश्वर मंदिर मे जाकर महादेव जी के ऊपर थोड़ा जल चढ़ाना है (दोपहर 12 बजे तक ही अभिषेक हो सकता है), फिर मान्धाता पर्वत परिक्रमा करना है, उसी समय नर्मदा-कावेरी संगम मे फिरसे थोड़ा सीसी का जल डाल के फिर से भरलेना है (पुराण के अनुसार ओंकारेश्वर जी के माथे से गुप्त रूप से गंगा मैया निकल कर मंदिर के निचे से कावेरी का नाम लेकर यही संगम मे नर्मदा जी से मिलती हैं , इस लिए इस स्थान मे भी नर्मदा जल को चढ़ाना है)। इस के पश्चात मान्धाता पर्वत की प्रदक्षिणा होनेके बाद दक्षिण तट मे ममलेश्वर मंदिर जाकर थोड़ा सीसी का जल महादेव जी के ऊपर डालने के बाद आपका परिक्रमा संपूर्ण होजाता है।

           बाद मे आप उस सीसी को अपने घर लेजाकर पूजा स्थान मे नित्य पूजा करें।

 

29) Where do Narmada water has to be offered during the Parikrama?

A) 1) The bottle in which you filled Narmada water during the time you pledge to do the Parikrama and keeps on worshiping the bottle every day during Parikrama, you have to pour some of that water into the ocean (the boat man will tell you while crossing the Narmada-Sagar confluence) and then again fill it with the water in the Narmada Sea confluence .

2) After visiting Mai ki Bagiya in Amarkantak, you again have to pour some of the Narmada water inside your bottle in the Narmada Kund / Narmada point of origin (priest will tell you).

3) The place when and where you raised or started your Parikrama, as soon as  you reach there after completion of your Parikrama (circumambulation) , prepare some halwa  and after that offer the same a little in Narmada water inside your bottle which you are worshiping at that place, then your Parikrama (circumambulation) is completed. But you cannot cross Narmada ji until you have not offered water to Omkareshwar Ji.

          After performing the Aarti Puja of Narmada Ji in Omkareshwar, you have to offer some water to Narmada Ji. Then you have to cross Narmada ji and go to Omkareshwar temple and offer some water on Mahadev ji (can be allowed till 12 noon), then do the Parikrama (circumambulation) of Mandhata mountain, at the same time offer a little water in Narmada-Kaveri confluence from your bottle. Then it has to be filled again (according to the Puranas, Ganga Maia is secretly released from the forehead of Omkareshwar ji and takes the name of Kaveri from the bottom of the temple and meets Narmada ji in the same confluence, so Narmada water has to be offered in this place too. ). After completing the Mandhata mountain parikrama, you have to visit Mamleshwar temple on the south coast, pour a little water  from your bottle on Mahadev ji, and finally your Parikrama (circumambulation) becomes complete.

     Later, you can take that bottle to your home and do regular puja in the place of worship.

 

30) क्या परिक्रमा करने के बाद हमें मोक्ष प्राप्ति होगी ?

) मोक्ष प्राप्ति की चाह हर प्राणि में रहता है। पर परिक्रमा करने के लिए आने वाले भक्तो मे एक वहम रहता है, परिक्रमा करते ही हमें मोक्ष मिल जाएगा क्या ?

      मोक्ष प्राप्ति हमारे कर्मों के ऊपर निर्भर रहता है। हम जैसे जीवन जीते हे, हमारे कर्म भी उसी पर आधार होकर हमारे जीवन के मोड़ तय करते हैं। हम पुण्य किये हे या पाप ? मोक्ष के योग्य हे या नहीं। या हम खुद तय नहीं कर सकते, या कोई जातक चक्र नहीं बता सकता। पाप पुण्य कर्मों का निर्णय ईश्वर करता है। जब तक धरती पर हे हम सब अपने कर्मों से बंधे हुए हे !

            मनुष्य जीवन जन्म और मरण के चक्र से बाहर निकलने का सबसे उत्तम अवसर होता है| जन्म और मरण के चक्र से मुक्त होने के कई मार्ग हैं| सनातन धर्म के लगभग सभी शास्त्र मनुष्यों को मुक्ति का मार्ग बताते हैं| श्रीमद भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने भी कई मार्गों का वर्णन किया है|

श्रीमद भगवत गीता  के  कुछ श्लोक इस प्रकार है:

*  “कर्मणा प्राप्यते स्वर्गः सुखं दुःखं भारत ।।

अर्थ हे भरतनंदन! कोई मनुष्य अपने कर्मों के आधार पर ही दुःख, सुख तथा स्वर्ग को भोगता है|

* “नान्यः कर्तुः फलं राजन्नुपभुङ्क्ते कदाचन।।

अर्थ कोई भी व्यक्ति दुसरे व्यक्ति के कर्मों का फल भी भोक्ता है|

* “विषमांच दशां प्राप्तो देवान् गर्हति वै भृशम्।

आत्मनः कर्मदोषाणि विजानात्यपण्डितः।

अर्थ मुर्ख मनुष्य जब संकट में पड़ता है तो भगवान को बहुत कोसता है| किन्तु वह ये बात नहीं समझता कि यह उसके कर्मों का ही फल है|

* “शुभैः प्रयोगैर्देवत्वं व्यामिश्रेर्मानुषो भवेत्।

मोहनीयैर्वियोनीषु त्वधोगामी किल्विषी।।

अर्थ अच्छे कर्म करने से जीवात्मा को देव योनि की प्राप्ति होती है| जीव अच्छे तथा बुरे कर्म करने से मनुष्य योनि मे, मोह डालने वाले तामसिक कर्म करने से पशु पक्षियों की योनियों पाप कर्म करने से नरक में जाता है|

* “शयानं चानुशेते हि तिष्ठन्तं चानुतिष्ठति।

अनुधावति धावन्तं कर्म पूर्वकृतं नरम्।।

अर्थ मनुष्य का किया गया पहला कर्म उसके सोने के साथ ही सोता है, उठने के साथ ही उठता है तथा उसके दौड़ने पर साथ ही दौड़ता है| वह पीछा नहीं छोड़ता है|

* “किंचिद् दैवाद हठात् किंचिद् किंचिदेव स्वकर्मभिः।

प्राप्नुवन्ति नरा राजन्मा तेऽस्त्वन्या विचारणा।।

अर्थ राजन! विवेकशील पुरुषों को कर्मों का कुछ फल अवश्य मिलता है| कुछ फल हठात प्राप्त होता है तथा कुछ कर्मों का फल अपने कर्मों से ही प्राप्त होता है|

* “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।

मा कर्मफलहेतु र्भूर्मा ते संगोस्त्वकर्मणि ।।

अर्थ इस श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते है हे पार्थ! कर्म करना तुम्हारा अधिकार है| कर्म के फल का अधिकार तुम्हारे पास नहीं है| इसलिए तुम फल की चिंता करते हुए केवल कर्म करते रहो|

* “योगयुक्तो विशुद्धात्मा विजितात्मा जितेन्द्रिय:

सर्वभूतात्मभूतात्मा कुर्वन्नपि लिप्यते

अर्थ जो भक्ति भाव से कर्म करता है, जो विशुद्ध आत्मा है तथा जिसने अपने मन सभी इन्द्रियों को अपने वश में कर लिया, वह सभी को प्रिय होता है सभी लोग भी उसे बहुत प्रिय होते है| ऐसा व्यक्ति कर्म करता हुआ भी कर्म में नहीं बंधता है|

* “यत् कृतं स्याच्छुभं कर्मं पापं वा यदि वाश्नुते।

तस्माच्छुभानि कर्माणि कुर्याद् वा बुद्धिकर्भिः।।

अर्थ मनुष्य जो भी कर्म करता है, उनका फल उसे भोगना पड़ता है| इसलिए सभी मनुष्यों को बुद्धि, मन तथा शरीर से सदैव अच्छे कर्म करने चाहिए|

* “ब्रह्मण्याधाय कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा करोति : |

लिप्यते पापेन पद्मपत्रमिवाम्भसा ||”

अर्थ जो पुरुष अपने कर्म फलों को भगवान को समर्पित करके स्वयं आसक्तिरहित होकर अपना कर्म करता रहता है, वह पाप कर्मों से उसी भांति अप्रभावित रहता है, जिस प्रकार कमल पत्र जल से अस्पर्श रहता है|

*  “कर्मणा वर्धते धर्मो यथा धर्मस्तथैव सः।।

अर्थ कर्म से भी धर्म बड़ा होता है इसलिए आप जैसा धर्म अपनाते है, आप भी वैसे ही हो जाते है|

            भगवान श्री कृष्ण ने श्रीमद भगवत गीता मे २० गुणो का वर्णन किया है जिसका पालन करके कोई भी मनुष्य जीवन मे पूर्ण सुख और जीवन के बाद मोक्ष प्राप्त कर सकता है| जो मनुष्य सात्विक जीवन जीना चाहते है, अपने इन्द्रियों को वश में करना चाहते हैं, उन्हें चाहिये के इन गुणो मे से अधिक से अधिक गुणो को धारण करने का प्रयास करें:

श्रीमद भगवत गीता - अध्याय: 13: श्लोक: (8,9,10,11,12):

अमानित्वमदम्भित्वमहिंसा क्षान्तिरार्जवम्

आचार्योपासनं शौचं स्थैर्यमात्मविनिग्रहः

इन्द्रियार्थेषु वैराग्यमनहङ्कावर एव

जन्ममृत्युजराव्याधिदुःखदोषानुदर्शनम्

असक्तिरनभिष्वङ्गा: पुत्रदारगृहादिषु

नित्यं समचित्तत्वमिष्टानिष्टोपपत्तिषु

मयि चानन्ययोगेन भक्तिरव्यभिचारिणी

विविक्तदेशसेवित्वमरतिर्जनसंसदि

अध्यात्मज्ञाननित्यत्वं तत्वज्ञानार्थदर्शनम्

एतज्ज्ञानमिति प्रोक्तमज्ञानं यदतोऽन्यथा

भावार्थ: विनम्रता, दम्भाचरण का अभाव, अहिंसा, क्षमाभाव, सरलता, गुरु की सेवा, शौच (आतंरिक एवं वाह्य शुद्धता), दृढ़ संकल्प, आत्मनिग्रह (मन को पवित्र रखना), वैराग्य (आसक्ति का अभाव), अहंकारहीनता (अहंकार से मुक्त), दोषारोपण करना, समभाव (सभी जीवों को समान समझना), मोहरहित (भौतिक पदार्थों का मोह रखना), समचित्त (सुख दुःख में समान व्यवहार), अटूट भक्ति, देशभक्ति, निरर्थक वार्तालाप मे लिप्त होना, आध्यात्मिक, आत्मज्ञानी यह सब पवित्र गुण कहे गए हैं ! यह आचरण मनुष्यों के सबसे उत्तम आचरण हैं | इन आचरणों को धारण करके मनुष्य इस शरीर मे संपूर्ण सुख एवं शांति कों प्राप्त कर सकता है और शरीर त्यागने के बाद मोक्ष को प्राप्त हो सकता है|

               यह सभी आचरणों का पालन कठिन हो सकता है, फिर भी हमे अधिक से अधिक इन आचरणों का पालन करना चाहिए | अगर हम सभी मनुष्य इन आचरणों में से कुछ का भी पालन करने मे सक्षम हो जाएँ तो हमारे दुखों का अंत हो सकता है| यह आचरण मनुष्यों के लिए मानक हैं| किसी भी भ्रम की स्थिति मे हमे इन मानक आचरणों का विचार करके हि अपने व्यवहार के निर्धारण करना चाहिए |

          मांडव्य मुनि ने भी अपने बाल्यवस्था मे अज्ञानता के कारण किये हुए छोटे कर्म के कारण उनको शूल दंड से कष्ट भोगना पड़ा, सीता मैया को भी बाल्य काल मे पंछियों को जुदा करने के कारण आजीवन श्री राम जी से अधिक समय तक दुर ही रहना पड़ा ! एशे बहुत से कथाएं हे ! मनुष्य जो भी कर्म करता है, उनका फल उसे भोगना पड़ता है ! इसलिए सभी मनुष्यों को बुद्धि, मन तथा शरीर से सदैव अच्छे कर्म करने चाहिए ! एवं जीवन को कर्मों से मुक्त करने के लिए धर्माचरण करना ही पड़ेगा।

                 नर्मदा परिक्रमा धर्म एवं मोक्ष के लिए एक सीढी हे ! जेसे पौधा लगाकर हम उसकी देखभाल करते हैं तो वो हमें कभी ना कभी छाया और फल देगा ! उसी प्रकार नर्मदा परिक्रमा करके दान, धर्म, आध्यात्मिक कार्यों में लिप्र रहने से हम बिना भटके मोक्ष के मार्ग के सीढी चढ़ते हैं। बाकी अपने आचरण या कर्म हमारे मोक्ष की दिशा निर्णय करते हैं। 

         कभी अच्छे शब्द नहीं बोले हो, कोई दान धर्म नहीं किये हो, हर प्राणि मे ईश्वर का दरजा ना देखे हो, मन मे मलिन रखते सिर्फ शब्दो मे मिठास रखे हो, दिखावे का जीवन जीये हो, झूठ, छल, लोभ इत्यादी से जीवन , व्यापार, कमाई इत्यादि करते हुए हम कितने दूर तक मोक्ष प्राप्ति कर सकते हैं वह आप खुद ही तय करें।

        मेरा उद्देष्य किसिको भयभीत करना नहीं हे। परंतु आपको सही मार्ग दिखाना है। मोक्ष कोई मिठाई नहीं जो भाग के हासिल करलो वो एक साधना है जो निरंतर प्रयास से ही, ईश्वर या धर्म पर लगन रखने से ही प्राप्त होगी !

 

30) Shall we attain salvation after doing parikrama?

Ans) The desire to attain salvation resides in every living being. But there is an illusion among the devotees who come for parikrama, shall we get salvation as soon as we do parikrama?

Attaining salvation depends on our actions or karma. The way we live our life, our actions or karma also decides the turning points of our life. Have we committed a virtue or a sin? are we worthy of salvation or not? And we cannot decide this ourselves, or the horoscope cannot reveal this. God decides the good and bad deeds. As long as we are on earth we are all bound by our deeds.

Human life is the best opportunity to get out of the cycle of birth and death. There are many ways to become free from the cycle of birth and death. Almost all the scriptures of Sanatan Dharma tell humans the path to salvation. Lord Shri Krishna has also described many paths in Shrimad Bhagwat Geeta.

Some verses of Srimad Bhagavad Gita are as follows:

“Karmana Pranyate Swargah sukham dukham cha bharata”

Meaning – O Bharatanandan! A man experiences sorrow, happiness and heaven on the basis of his deeds.

“Naanyah kartuh phalam rajannupabhukte kadachana”

Meaning – Any person also enjoys the fruits of another person's actions.

“ Vishamaancha dashaam prapto devan garhati vai bhrusham,

   Atmanah karmadoshani na vijanatya panditah”

Meaning – When a foolish man gets into trouble, he curses God a lot. But he does not understand that this is the result of his actions.

“Subhai prayogairdevatwam vyaamishrermanusho bhavet,

Mohaneeyairviyoneeshu tvadhogaami cha kilvishi”

Meaning – By doing good deeds the soul attains the divine birth. By doing good and bad deeds, the living beings go to human life, by doing vengeful deeds that attract people, they go to the lives of animals and birds and by doing sinful deeds, they go to hell.

“Shayanam chaanushete hi tisthantam chaanusthati,

Anudhaavati dhaavantam karma purvakrutam naram”

Meaning – The first action /karma done by a man sleeps as soon as he sleeps, and wakes up as soon as he wakes up and runs with him as soon as he runs. The action/karma does not leave the chase.

“Kinchid daivaad hathat kinchid kinchidev swakarmabhi,

Prapnuvanti naraa raajanmaa tehstvanyaa vichaarana”

Meaning – O king! Discerning people definitely get some fruits of their actions. Some results are achieved instantly and the results of some actions are achieved only by one's own actions.

“karmaṇy-evādhikāras te mā phaleṣhu kadāchana
mā karma-phala-hetur bhūr mā te saṅgo ’stvakarmaṇi“

Meaning – In this verse Lord Krishna says to Arjun – O Partha! It is your right to work. You have no right to the fruits of your actions. Therefore, you just keep doing your work without worrying about the results.

" yoga-yukto viśhuddhātmā vijitātmā jitendriyaḥ
sarva-bhūtātma-bhūtātmā kurvann api na lipyate”

Meaning – One who works with devotion, who is a pure soul and who has controlled his mind and all the senses, is loved by everyone and all people are also very dear to him. Such a person, even while doing karma, is not bound by his karma.

“yat kritam syachubham karmam paapam va yadi vaasnute,

Tasmaachubhani karmani kuryad vaa budhikarbhih”

Meaning – Whatever deeds a man does, he has to suffer the consequences of them. Therefore, all human beings should always do good deeds with intellect, mind and body.

“Brahmanyadhay karmani sangam tyaktva karoti yah,

Lipyate na sa papena padmapatramivambhasa”

Meaning - The person who dedicates the results of his actions to God and continues to perform his actions without any attachment, remains unaffected by sinful actions in the same way as a lotus leaf remains untouched by water.

karmana vardhate dharmo yatha dharmastathaiva sah”

Meaning – Dharma/ righteousness is greater than karma, hence whatever dharma/ righteousness you adopt, you also become like that.

Lord Shri Krishna has described 20 qualities in Shrimad Bhagwat Geeta, by following which any human being can attain complete happiness in life and salvation in the afterlife. Those people who want to live a virtuous life and want to control their senses should try to imbibe as many of these qualities as possible:

Srimad Bhagavad Gita - Chapter: 13: Verses: (8,9,10,11,12):

amānitvam adambhitvam ahinsā kṣhāntir ārjavam
āchāryopāsanaṁ śhauchaṁ sthairyam ātma-vinigrahaḥ
indriyārtheṣhu vairāgyam anahankāra eva cha
janma-mṛityu-jarā-vyādhi-duḥkha-doṣhānudarśhanam
asaktir anabhiṣhvaṅgaḥ putra-dāra-gṛihādiṣhu
nityaṁ cha sama-chittatvam iṣhṭāniṣhṭopapattiṣhu
mayi chānanya-yogena bhaktir avyabhichāriṇī
vivikta-deśha-sevitvam aratir jana-sansadi
adhyātma-jñāna-nityatvaṁ tattva-jñānārtha-darśhanam
etaj jñānam iti proktam ajñānaṁ yad ato ’nyathā

Meaning: Humility, absence of arrogance, non-violence, forgiveness, simplicity, service to the Guru, cleanliness (inner and outer purity), determination, self-control (keeping the mind pure), detachment (absence of attachment), egolessness (free from ego), not to blame, equanimity (considering all living beings equal), attachment (not attachment to material things), equanimity (equal behavior in happiness and sorrow), unwavering devotion, patriotism, not indulging in meaningless conversations, spiritualism, enlightenment, all these are said to be sacred qualities. This conduct is the best conduct of human beings. By adopting these conducts, man can attain complete happiness and peace in this body and after leaving the body, he can attain salvation.

It may be difficult to follow all these conducts, yet we should follow these conducts as much as possible. If all of us human beings are able to follow even a few of these conducts then our suffering can end. This conduct is standard for humans. In case of any confusion, we should decide our behavior by considering these standard conducts.

Mandavya Muni also had to suffer from the punishment due to small deeds done due to ignorance in his childhood, Mother Sita also had to stay away from Shri Ram ji for a long time in her life because of separating the birds in her childhood. There are many such stories. Whatever actions a man does, he has to suffer their consequences. Therefore, all human beings should always do good deeds with intellect, mind and body. And to free life from karma, one will have to practice Dharma.

Narmada Parikrama is a step to dharma and salvation. As we plant (a tree) and take care of it, it will give us shade and fruits sooner or later. Similarly, by circumambulating Narmada ji and being engaged in charity, dharma and spiritual activities, we climb the steps to the path of salvation without going astray. Rest, our conduct or actions decide the direction of our salvation.

You have to decide for yourself how far we can attain salvation if you have never spoken good words, you have never done any charity, you have not seen the status of God in every living being, you have only kept sweetness in your words while keeping your mind dirty, by living a life of show off, doing business, earning money etc. through lies, deceit, greed etc.

My aim is not to scare anyone. But have to show you the right path. Salvation is not a sweet that can be achieved by running away. It is a spiritual practice which can be achieved only through continuous efforts and devotion to God or dharma.

 

31) नर्मदा परिक्रमा मे सबसे मुख्य संकल्प क्या लें ?

) माँ नर्मदा सिर्फ नदी नहीं जीवन दायिनी, लोक हित कारिणी हे . आज-कल प्रदूषण के कारण नर्मदा जी का जल और आस पास के पर्यावरण दूषित हो रही हे. मातृरक्षा सेवा संघटन , ओंकारेश्वर और कई ऐसे सेवक नर्मदा जी को साफ़ और स्वच्छ रखने के लिए निरंतर श्रम कर रहें हे , लोगों मे जागरूकता लानेका प्रयाश कर रहे हैं ! यह बात नर्मदा किनारे सब जगह नहीं पहुंच पाती हे ! यह सिर्फ परिक्रमा वासिओं के संकल्प से ही संभव हो सकता हे !

            सभी परिक्रमावासी परिक्रमा के दौरान यह संकल्प लें की वे नर्मदा किनारों मे स्वच्छता और प्रदूषण मुक्त करने की वार्ता सभी स्थानों मे फैलाएं -

1) अतैव आप सब नर्मदा जी मे वस्त्र छोड़ें, जिस से जल जीवों को बहुत हानि पहुंच रहा हे, जल प्रदूषित हो रहा हे- बल्कि उन वस्त्रों को मैया मे थोड़ा भिगोकर किसी गरीब को पहनने को देदें .

2) नमर्दा जी मे साबुन, शेम्पू, केमिकल का इस्तेमाल करें, कूड़ा कचरा फेंके .

3) नर्मदा किनारे शौच करे और शौचालयों का निर्माण करें . किनारे से दूर सेप्टिक टेंक बनाकर शौचालय बनाये . गंदगी नर्मदा जी मे छोड़ें .

4) प्लास्टिक का इस्तेमाल करें . नर्मदा जी मे प्लॅस्टिक के पन्नी, दोने , पत्तल इत्यादि फेंके . आटेका दीपक जलाकर छोड़ें ताकि जलचर जीवोंको खाना भी मिलजाए .

5) परिक्रमा मे कोई भी जगह प्लास्टिक के थाली, प्लेट इस्तेमाल करें, खुद के स्टील , ताम्बे पीतल के बर्तन मे भोजन करे.

6) नर्मदा किनारे वृक्ष लगाएं ! एक एक परिक्रमावासी  परिक्रमा के दौरान एक दिन एक वृक्ष भी लगाते जाएं तो दोनों तटों मे एक साल मे हरियाली आएगी , और प्रदूषण कम होगा .

7) अन्य कोई भी कार्य जो पर्यावरण और नर्मदा जी के हित हो वो सब करें .

            सबसे मुख्य बात कोई भी कार्य किसी को कहने से ज्यादा हम करेंगे तो हमें देख चार व्यक्ति आगे बढ़ेंगे. परिक्रमा के दौरान दुर्लभ ग्रामीण क्षेत्र से गुजरते हे, हम लोगोंके साथ मिलकर स्वच्छता का कार्य करते जाएंगे तो लोग भी धीरे धीरे बदलेंगे और नर्मदा जी भी हमेशा स्वच्छ और सुन्दर रहेंगी.

 

31) What is the main determination/ vow to take in Narmada Parikrama?

Ans) Mother Narmada is not only a river but also a life-giver, it is a cause for well being of humans. Now-a-days due to pollution, the water of Narmada ji and the surrounding environment is getting polluted. Matru Raksha Seva Sanghatana of Omkareshwar and many such other servants are working continuously to keep Narmada ji clean and clear, trying to bring awareness among the people. This thing does not reach everywhere on the banks of Narmada. This can be possible only with the determination of the parikrama vasis.

         During the circumambulation/ Parikrama, all the parikramavasis should take a pledge that they should spread the message of cleanliness and pollution free in the Narmada banks in all the places-

1) Therefore, all of you should not leave clothes in Narmada ji, due to which water creatures are being harmed a lot, water is getting polluted - rather soak a bit of those clothes in Mayya and give them to a poor person to wear.

2) Do not use soap, shampoo, chemicals in Namarda ji, do not throw garbage.

3) Do not defecate on the banks of Narmada and do not build toilets. Build toilets by making septic tanks away from the shore. Do not leave the dirt in Narmada ji.

4) Do not use plastic. Do not throw plastic foil, plates, etc. in Narmada ji. Lit and leave the flour lamp so that aquatic creatures can get food.

5) Do not use plastic foils, plates at any place in the parikrama, eat food in your own steel, copper or brass utensils.

6) Plant trees on the banks of the Narmada, if every one of the parikramavasi plant a tree one day during the parikrama, then there will be greenery in both the banks in a year, and it will lessen pollution.

7) Also do any other work which is in the interest of environment and Narmada ji.

          The most important thing is that if we do any work more than telling anyone, then four people will move forward after seeing us. During the parikrama, we pass through many rare rural areas, if we go on doing the work of cleanliness together with the people, then people will also gradually change and Narmada ji will always be clean and beautiful.



Narmade Har... Jindagi Bhar... Sabka Bhala Kar 

नर्मदे हर ... जिंदगी भर ... सबका भला कर 


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Comments

  1. नर्मदेहर.. परिकम्मा वासी के उपयुक्त 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

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